Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 683
________________ . सप्ततिकासारम् / तीसा उ सहावत्थस्स होइ तह इकतीस तित्थयरे / गबजाइतसे / वायरपज्जतं. सुभगमाइज्जं // 6 // जसतित्थयरेहिमसो नवोदओ पुण इमो अजोगिस्स / / तित्थयरनामरहिओ * अठ्ठदओ होइ तस्सेव // 7 // तेणाई बाणाई नवद्वछहि समहिया असी असिई / अक्खवगाणे छ इमाः हवंति नामस्स संताणि // 8 // तेरसनामे खविए चउन्ह आइलसंतठाणाणं / तत्तो कमेण जाणसुः खवगाणं केवलीणं च // 6 // असिई अउणासीई छावत्तरि पनसचरी चेव / हुति अजोगिजिणाणं पुव्वुत्तनवट्ठसंताणि // 10 // देवाणं पणवीसा छवीसिगुत्तीस तीस चउबंधा / एगिदियपंचिंदियतिरियाण. नराण पाउग्गा // 11 // उदयट्ठाणाणि पुणो पंच जहा नारयाण भणियाणि / ' छद्रं तु इहं तीसा उज्जोएणं समा नेया // 6 // तेणउई चाणउई नवअट्ठहि समहिया असीई य / / संतहाणाणि पुणो देवाण इमाणि चत्तारि // 93 / / एयाहिँ जहा पुचि भणियाई तहा इहं पि नेयाणि / इय बंधोदयसंताणि वनियाई समासेणं // 64|| इय सत्तरीए सुत्तस्स तह य चुनीए सारसुद्धरियं / - सीसाण हियट्ठाए भणियं सिरिहेमसूरीणं // 15 // जो पढइ इमं जीवो तस्स फुडं सत्तरीयचुनीए / सारस्थो हिययत्यो विष्फरह सया सनामं व // 16 // ..य सत्तरीसारं सम्मत् // . * इति सप्ततिकासारं समाप्तम

Loading...

Page Navigation
1 ... 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716