Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
View full book text ________________ सप्ततिकाभाष्यम् मणएसु वि सन्निविही णवरं अडसयरि नत्थि तह तीसे / बंधे तिनवइ नवसी इगतीसुदओ नसइ बंधो // 177 // देवाण तीसबंधे संता चउरो वि नियमउदएसु / दुनवइ अडसी संता सेसेसु बंधउदएसु / 178 // सव्वत्थ वि अडसयरी अन्ने तिरियाण उरलउदएसु। पणसगवीसुदएसु तेवीसचयं नरे विति // 176 / / सामान्येन सर्वबन्धेषु सत्तास्थानान्याहतीसंतऽडवीसविणा बंधेसुदएसु एगतीसंते / इगवीसाइसु दुणवइ अडसी छासी असी ठवसु // 180 // छव्वीस तुदएK अडसयरी ' पंचमी तहा ठवसु / गुणनवई तह तिणवइ ठवेसु एएसु उदएसु // 181 / / गुणतीसबंधगस्स उ चउवीसिगतीसवज्जि सेसेसु / छच्चउअहिया वीसिगतीसा वज्जित्तु तीसचए // 182 / / इगतीसबंधि उदया गुणतीसा तीस संति तेणवई / इगबंधिअबंधीणं तीसुदए अट्ठ संताणि // 183 / / तिदुनवई गुणनवई ' अडसी य असी य तह य गुणसीया / छप्पणहत्तरि " एत्तो अबंधि सेसेसु उदएसु // 18 // वीसछ्वीसऽडवीसे गुणसी पन्नत्तरी य संताई / / गुणतीसे इगुणासी छप्पणसयरी असी चेव // 18 // णवउदए संताई असीइ छावत्तरी य नव चेव / अठ्ठदए ते चेव उ एगूणा तित्थनामेणं // 186 / / असीइ छसयरि दुनि उ इगवीसिगतीससत्तवीसाए / . अडवीसे पुण बंधे नवइ अडसी य सव्वत्थ // 187 / / इगतीसुदए छासी छासी गुणनवई "तीसुदयअहिया / गुणनवइ कस्स भन्नइ मिच्छद्दिद्विस्स ननस्स // 188|| 1 "तेवीसचओ वि मणुएसु॥” इत्यपि मुद्रितप्रतौ पाठः / 2 "पंचमं" इति मु० प्रतौ / 3. "छ- . चउअहियवी०" इत्यपि मु. / 4 "अडमी[ई]इ असीइ तह य गुणसीइ // " इत्यपि मु०। 5. "इत्तो" इत्यपि मु०.६"अडसीइ सव्वत्थ" इत्यपि मु० / 7 'तिसुदए अहिया।" इत्यपि मु।
Loading... Page Navigation 1 ... 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716