Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 673
________________ सप्ततिकाभाष्यम् 'सुरदुगनरयदुगे वा एगयरे नासिए हवइ छासी / असइ विउविचउक्के दुगअन्नयरे य उव्वलिए // 153 / / मणुयदुगे उव्वलिए अडसत्तरि सत्तखवणरहियाण / / खवगाणं पुण सव्वे छासी अडसत्तरी मोत्तु // 154 / / तेणवइमाइयाओ चउरो नामस्स तेरसे खविए / जायंति असी गुणसी छसयरि पणसयरि जहसंखं // 15 // नरयदुगं तिरियदुगं विगलिगजाई य थावरं सुहुमं / आयावं उज्जोयं 'साहारण तेरस इमाओ // 156 / / दुणवइअडसीयाओ उवसंतो जाव संति मिच्छाओ / तिणवइ गुणणवईओ दो वि हु अजयाउ अट्ठण्हं / 157 / / गुणनवइ असी छासी "अडसत्तरि मिच्छि थूलखवगाओ। पणछन्नवहियसत्तरि असी अजोगंतऽणुवसते // 158 / / नव अट्ठ अजोगिम्मी सत्ता गुणठाणगेसु इय भणिया / गुणवंधुदएसे नवरं तत्थ य विसेसोयं // 159 / / अडवीसचयं "मोत्तु दुणवइ छडसी८६ असी प्य सव्वत्थ / / छच्चीसंतुदएसु अडसयरी पंचमी मिच्छो // 16 // गुणतीसचए नरगोदएसु२१ 25,27, 28, २९नवसी विधि अडवीसे। दुणवइ नवद्वछासी नवसी विणु एकतीसुदए // 161 // सासणि तीसे तुदए दुणवइ 'अडसी य सेसि पुण अडसी। ' अजए गुणतीसचए तिनवइ नवसी छवीसुदए // 16 // 'देसपमत्ति गुण' तीसे 26 चइ अजए तीसि तिणवई नवसी / अडवीसचए दुणवइ अडसी अजयाइतिहंपिं // 163 // अडसी नवसी दुणवइ तिणवह संता कमेण बंधेसु / अपमत्तअपुव्वाणं इगतीसंतेसु चउसु पि // 164 // 1 "अभ्या गाथायाः स्थाने मुद्रितप्रतावियं गाथाऽस्ति / “छासीइ असइ सुरदुगि नरगोचियछक्कगे असइ असिई / सुरदुगि नरयदुगेण व छक्कचए सइ पुणो छासी।" इति / 2 "अमृत्तरि" इत्यपि मु० / 3 'अडहत्तरि मुत्त॥” इत्याप मु० / 4 "साहारण" इत्यपि मु। 5 अडहत्तरि इत्यपि मु०। 6 "०म्मि उ" इत्यपि मु०। 7 "मुत्त दुनवई छडसी असीइ" इत्यपि मु०।८ "अडसीइ" इत्यपि मु० 6 देसि" इत्यपि मु० / 10 "०तिसे” इत्यपि मु०।

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