Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
View full book text ________________ सप्ततिकाभाष्यम् उवरिं जा उवसंतो विसत्तरी 72 खीणमोहि चउवीसा 24 / अडचत्त 48 सजोगम्मी दो भंगा चरिमगुणठाणे // 142 // जीवस्थानेषूदयानाहछव्वीसंता सुहुमे सगवीसंता य बायरे उदया / इगतीसंता चउवीसहीण समणेगवीसाई // 143 // विगलामणेसु ते वि हु पणुवीसा सत्तवीस विणु छाओ / पजि 'अपजाणं निज दो दो उरलोदया पढमा // 144 // जीवस्थानेषु उदयस्थानकमङ्गसंख्यामाहसुहमेयरेसु तिय तिय 3 अपजि पज्जेसु सत्त गुणतीसं / सन्नि अपज्जे चउरो दो दो सेसेसु ऽपज्जेसु // 145 / / छावत्तरि इगसत्तरि समणे विगलेसु वीस पत्तेयं / अमणे गुणवन्नसया चउसहिया जीवउदयंसा // 146 // गतिषूदयस्थानान्याहइगपणसगढनवहियवीसा नरगे सुरेसु तीसा वि / नरुदय-चउवीसूणा नवट्ठवीसूण-तिरिएसु // 147 / / उदयंस पंच नरए तिरिए पण सहस सयरि भंगाणं / देवेसु चउसट्ठी नरेसु छब्बीसवावन्ना // 148 // . गुणस्थानजीवस्थानगतीनां बन्धेषूदयानतिदिशन्नाहगुणतीसंता उदया अडवीसे नत्थि जाव मीसोति / निगतीस तित्थबंधे इगतीसचयाइ 31 गुणसरिसा // 149 // पणसगअहिया वीसा तेवीसचए न होइ सगलाणं / ' गुणजियगईण सरिसावसेसबंधेसु उदयाओ // 150 / / . मिश्रस्यैकोनत्रिंशबन्धे एकोनत्रिंशदुदयः / / // उदओ सम्मत्तो॥ ..: तिदुनवई गुणनवई 'अट्ठच्छडमी असी य गुणसी य / अट्ठयछप्पन्नत्तरि नव अट्ठ य नामसंताणि // 15 // पडिपुन्नु नामु तिणवइ तित्थविणा दुणवई य सा होइ / चउआहारगरहिया ता 63-92 गुणनवई य अडसीया॥१५२॥ .: "भपजत्ताणं निय दो" इत्यपि / 2 'भडसी छडसी असीइ गुणसीइ / " इत्यपि मु० / 3 "परिसुन्न" इत्यपि मु।
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