Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 670
________________ सप्ततिकाभाष्यम् नियएगवीसजुत्ता विउन्वितिरिसरिस हुंति देवुदया / चउसहि देवभंगा अपसत्था पंच नरएसु // 121 // उदयेषु मङ्गसंख्या। इग बेयालिकारस तेत्तीसा छस्सयाणि तेत्तीसा / चारस सत्तरससयाणहिगाणि चिपंचसीईहिं // 122 // अउणत्तीसेगारससयहियसत्तरसपंचसट्ठीहिं एक्केवगं च वीसादलृदयंतेसु उदयविही // 123 / / | उदयस्थान. 2002124/25 26 27 28 | 29 30 31 बन्धस्थानेषु उदयावाहइमतीसंता इगवीसमाइणो सन्वि उदय विज्जति / तीसंतबंधगेसु चउवीसा 'मोत्तु अडचीसे // 124 // गुणतीसतीस उदया इगतीसे एगवंधि तीसेव / चउवीसा 'पणचीसा 'मोत्तमबंधम्मि दस सेसा // 12 // ___सांप्रतं सर्वोदयमङ्गसंख्यापूर्वकं सर्वस्थानेषु संमवितोदयमङ्गसंख्यामाहसत्तत्तरी सयाई एकाणउयाइँ सव्वभंगाणं 77911 जइ१८सुर६४नरय५विहूणा तेवीसे चंधि सेसुदया७७०४॥१२६॥ "नारय५जई१८विहूणा पुण छव्वीसे य पन्नवीसे य 7768 / केवलिरहियादउदया गुणतीसे तीसबंधे य 7783 / / 127 // पन्नसया 'बासीया 5082 अडवीसे वंधि जमिह तिरिउरला / देहेणापडिपुन्ना पढमे संघयणसंठाणे // 128 // अडयालं भंगसयं१४८इगतीसे एगवंधि दुगसयरी / 72 अट्ठाणवई सव्वे अबंधए हुँति उदयंसा // 126 / / // इति बन्धस्थानेषु उदयमङ्गसंख्या // ___ सांप्रतं गुणस्थानेषु उदयस्थानान्याह 1 "मुत्त" इत्यपि मु / 2 "०उदओ" इत्यपि ह / 3 "पणु०" इत्यपि मु / 4 "मुत्त" इत्यपि : मुः। 5 "नरयजइविहूणा पुण छब्बीसे पनवीसबंधे य" / इत्यपि मुद्रित प्रतौ / 6 "बासीती" इत्यपि मु.।

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