Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
View full book text ________________ सप्ततिकाभाष्यम् / नियगइदुगनियजाई उरलदुर्ग बायरं पराघायं / पत्तेय पज्ज नव धुव नवपिंडा उ तसं सासं // 73 // नरतिरिय 'जोग्गमिच्छाइ दोनि बंधति पिंडजा भंगा / विगलट्ठभंग हुईं सेव? हीणपिंडिल्ला 74 // संघयणा संठाणा छावि हु मिच्छाण हुँति बंधम्मि / "सेवद्वहुंडविरहे पण सासणि तयणुभंगा उ // 7 // "पढमं सुरनेरइया मिस्साइजया नराण पाउग्गं / अडभंग 'सत्थपिंडा एस विसेसो इगुणतीसे // 6 // नरइगुणतीस तीसा तित्थेणं होइ "अजउ बंधेइ / अहवु ज्जोयण तीसा तिरि गुण तीसाइ तह सव्वं // 77 // अहवा सुरअडवीसाऽऽ"हारगदुजुया अभंग वरतीसा / तित्थेणं इगतीसा बंधहि अपमत्तअप्पुव्वा // 7 // जसकित्तिमपुव्वाई "बंधहि उवसंतमाइ न उ नाम / इय नामबंध'ठाणाइ भंगसंखा इमा तेसु // 79 // चउ४"पणवीसा २५सोलस१६नवः बाणउई सया य अडयाला। "इगयाउत्तरछायालसया४६४१ "एक कबंधविही // 8 // गुणस्थानेषु बन्धस्थानान्याहमिच्छो छ उ तीसंता सासणु"अजया य तिन्नि तीसंता / देसपमत्ता मीसा बंधहि वीसा नवदुहिया // 8 // अडवीसाई चउरो बंधइ अपमत्तु पंच अप्पुव्वो / एगमनियट्टिसुहुमा सेसा नाम न बंधंति // 2 // ___ जीवस्थानेषु बन्धस्थानान्याहएगेगतीस सन्नी पज्जो अडवीस पज्जु अमणो वि / सेसा उ पंचठाणा 'बंधइ सव्वे वि जियठाणा // 3 // 1. "जुग्ग०" इत्यपि / 2. "दुन्नि" इत्यपि / 3. "छेवट्ठ" इत्यपि / 4. "छेवढ0" इत्यपि / 5. बंहि सुरनेरइया मिस्सा अजया य मणुयपाउग्गं / " इति मुद्रितप्रतौ पाठान्तरम्। 6. “०पसत्थ." इति मु० प्रतौ / 7. “अजय" इति मु. प्रतौ / 8. "जोइण०" इत्यपि मु. प्रतौ / 9. "०तीसाएँ' इत्यपि मु०प्रती। 10. "हारदुगजुया'' इत्यपि मु० प्रतौ। 11-12. "बंधहिँ" इत्यपि मु० / 13. "०ठाणाइँ" इत्यपि मु०। 14. “पणु०" इत्यपि मु० / 15. "इगुयालुत्तर०" इत्यपि मु०। 16. "इक्विक" इत्यपि मु० / 17. "अजओ" इत्यपि मु० / 18. "बंधहि" इत्यपि मुः।
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