Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
View full book text ________________ सप्ततिकामाष्यम् * गतिषु तान्याहमणुएसु सव्वि बंधा पणछन्नववीस तीस देवेसु / . तिरिएसु छ 6 तीसंता नरए गुणतीसतीसा य // 4 // पणयाल सन्नि नरि सत्ततीस तेरस सहस्स नव य सया / तिरि पज्जि अमणि मिच्छे ते छब्बीसा असम्मजया // 8 // ते सतरसहिय 'जियबारसेसु अट्ठसय, तेरस सहस्सा / छप्पन्नहिय सुरेसु बत्तीसहिया य ते नरए // 86 // छन्नवइसयट्ठहिया सोलस बत्तीस सोल सोलस य.। . चउ पंच एगमेगं साणाइसु भंग जा सुहुमो // 87 / / . // इति जीवस्थानादिषु भङ्गाः॥ ' बंधो समत्तो॥ वीसिंगवीसा चउवीसि गाउ इगतीसमंत एगहिया / उदयट्ठाणाणि भो 'नव अट्ठ य हुंति नामस्स // 8 // 'तेयाकम्मागुरुलहु थिरसुभजुयलाणि निम्म वन्नचउ / एया पारस पयडी धुवोदया हुति नामस्स . // 86 // 'संघयणा६संठाणासुभगं१आदेय१जस१ति३जुयलाणि / 'ससीगुणण भंगा अडसीया दो सया हुँति // 10 // करणं / / पज्जत्तजसादेयं सूभगजुयलेहि नव य. भंगाओ / अपसत्थेगु अपज्जे पज्जड उ करणजवडिल्लं // 11 // 'साहारण ण आयवु-जीयजसायव अपज्जसुहमेहिं / साहारुज्जोयजसायवे य नोदिति * सुहमतसे // 2 // !!... उदयस्थानानि विवरयन्नाह त्रिंशद्भिर्गाथामिःनियगादुगनियजाई थावरनादेय दुहयधुवपयडी / सुहुमापज्जजसाणं " दुगदुग एगयरिं पणभंगा // 3 // थावरइगवीसेसा अवणिय अणुपुवि 'पत्तियं एयं / पत्तेयदुगेगयरं हुंडं उरलं "उवग्यायं . // 14 // 1. "बारसजिएसु” इत्यपि मु० / 2. "०गाइ०" इत्यपि / 3 "इयं गाथा हस्तलिखितप्रतौ नास्ति / 4 संघयण सठाणं सूभगआ०" इति मु. प्रतौ / 5 “रासिगुणणे" इति मु. प्रतौ / 6 “साहारणे न" इति सुर प्रतौ / 7 “दुभग०" इत्यपि मु. / 8. "एगयरे य” इति ह. प्रतौ / 9 "घित्ति' इत्यपि मु. प्रतो। 10 च उवघायं” इत्यपि मु. प्रतौ।
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