Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 662
________________ सप्ततिकाभाष्यम् चउ कोहाइ अणाई दुजुयल हासरइअरइसोगाणं / चेयतियं एएहिं भंगा चउवीसतिजनामा // 26 // इति संज्ञाकरणम् // अणविगु तिन्नि कसाया जुयलन्नयरं तिवेयअन्नयरं / मिच्छं च सत्त उ चउ मिच्छे भंगा तिजा हुँति // 27 // चउवीस संतु सम्मी मिच्छं गंतु अणंतचयमाणो चंधावलिया पढमा तत्थुदओ नत्थि णंताणं // 28 // भयगुच्छअणंताणं एगयरे अट्ठ नव य पुण हुति / / दुगजोगतिण्हमेगयरखिणि-तिगुणा 3 तिजा दुसुचि // 29 // दस तिण्हं पि हु खिवणे तिजभंगा 24 अट्ठ सव्वि हुंति तिजा / // 24-8|| सत्तद्वनवा एवं सासणमिस्से य नवरं तु // 30 // मिच्छाठाणेणंताणुबंधे मिस्सं च खिवसु जहसंखं / / चउंचउ तिजा य' दोसु वि मिच्छविणासम्मि छक्कुदओ // 31 // भयगुच्छवेयगाणेगयरे सग 7 अट्ठ 8 एगदुगखिवणे / तिहं दुगजोगाणं ति३ तिज 24 नव तिहिं वि एगतिजो // 32 // सव्वट्ठ तिजा 24 / एवं बिइयकसाएहिँ विरहिया देसे / पंचाई अढता उदया' सव्वेऽट्ट तिज हुंति // 33 // तइयकसायविहणा विरए चउराइ सत्तगंता उ / / उदया सव्वट्ठ तिजा 24-8 तत्थ उ सम्मे विसेसो यं / / 34|| जा वेयगसम्मघरा उदया ताणं तु हुंति न 'उ पढमा / खइयगउवसमियाणं चउत्थउदया नवि य हुँति / / 35 / / पणवंधि बार मंगा कसायवेएहिँ दुन्ह उदयम्मि / पंचाओ य चउक्क संकममाणस्स 'ते चन्ने // 36 // जावइया बज्झती तस्समभंगा य तत्थ य हवंति / एगो अबंधगस्स उ एगारस सन्वि एगुदए // 37 // चउरो जईउ देसाउ पंच अजयाउ छा उ जाऽपुव्वा / सत्तापमत्त देसट्ठ नच उ अजयंत मिच्छाउ // 38 // १"दो वि हु मिस्स विणा' इत्यपि / 2 "ति ति तिज नव तिहिं बि" इत्यपि / 3 "सव्व-" इत्यपि / 4 "सव्वेऽ?" इत्यपि / 5 "हु" इत्यपि / 6 "ते वऽन्ने" इत्यपि / 7 "बंधती इत्यपि /

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