Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 656
________________ षडशीतिभाष्यम् हासच्छक्कविमुक्का, सोलस अनियट्टिबायरस्स भवे / संजलणवेअतियवज्जियत्ति दस सुहुमरागस्स // 25 // लोभूणा नव उवसंतगस्स ते चेव खीणमोहस्स / चरमाइममणवइदुगकम्मुरलदुग सजोगिस्स // 26 // अठेव य संताउगरहिया छम्मोहआउयविउत्ता / सायं एगं एवं, चउरो ठाणाणि बंधस्स // 27 // अड सत्त मोहरहिया, चउरो 'विज्जाउनामगोया य / सत्ताए उदए चिय, तिन्नि य ठाणाणि पत्तेयं // 28 // अड सत्ताउविणाऽणाउविज छप्पण अमोहविज्जाऊ / दो नाम गोयं तह , इय पंच उईरणा ठाणा / / 29 / / जीवस्स पुग्गलाण य, जुग्गाण परुप्परं अभेएणं / . 'मिच्छाइहेउविहिया, जा घडणा इत्थ सो बंधो // 30 // करणेण सहावेण व, ठिइवचए तेसिमुदयपत्ताणं / जं वेयणं विवागेण सो उ उदओ जिणाभिहिओ / / 31 / / कम्माणूणं जाए, करणविसेसेण ठिइवचयभावे / जं उदयावलियाए, पवेसणमुदीरणा सेह // 32 // बंधणसंकमलद्धत्तलाहकम्मस्स रूवअविणासो / निज्जरणसंकमेहिं, सब्भावो जो य सा सत्ता // 33 // बंधणसंकमणुव्वट्टणा य ओवट्टणा उईरणया / उवसामणा निहत्ती, निकायणा चत्ति करणाइं // 34 / / बन्धनकरणं बन्ध एव / पयइठिइरसपएसाणमन्नकम्मत्तणेण य ठियाणं / जं अन्नकम्मरूवत्तठावणं संकमो एसो // 35 / / तं उव्वट्टणकरणं, जं ठिइरसवुड्रिपयडियपहुत्तं / ठिइरसहस्सीकरणं, करणं अपवट्टणं जाण // 36 / / 1 "वेज्जाउनामगोयाणि" इत्यपि / 2 "जोगाण" इत्यपि / 3 "उ वियाण" इत्यपि।

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