Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 655
________________ .. षडशीतिभाष्यम् सासाणं छावलियं, तुरियं 'तित्तीससागरा अहिया / पंचममह तेरसमं, देसूणा पुव्वकोडी . य // 12 / / चरिमं . हस्सपणक्खरउग्गिरणपमाणयं भवत्थाणं / / सिद्धाणमणंतद्ध, अंतमुहुत्तं तु. सेसाणि // 13 // समओ उ जहन्नेणं, पमत्तसासणुवसंतमोहाणं / / देससजोगिअसंजयमिच्छत्ताणं . . . मुहुर्ततो. // 14 / / अस्संखाउंयतिरिया, विमाणिणो : पढमपुढविनेरइया / / मणुयाय तिसम्मत्ता, वेयगउवसामगा सेसा // 15 // अप्पज्जत्तमणुस्सा, वेउव्वियमीसमीसदिठी यः / / तह. सुहुमसंपराया, परिहारियछेयचारिचा // 16 / / अप्पुव्वकरणअनियट्टिबायरा तहुवसंतमोहा य। / / / आहारग मीसो वि.य, सासणदिट्ठी य भयणिज्जा // 17 // सामन्नेणं / एवं, ग. सत्तावन्ना विसेसहेऊणं / / सा आहारदुगूणा,. पणवन्ना मिच्छदिठिस्स / / 18 / / मिच्छत्तपंचगूणा, सासणदिट्ठिस्स होइ. पन्नासा / / परलोगगमणविरहा, सम्मामिच्छस्स पुणः एसा / / 19 / ओरालमिस्सवेउव्वमिस्सकम्मणसरीरजोगेहि ... / / तह अणंताणुबंधीहि 'विरहिया होइ तेयाला // 20 // पुव्वुत्तजोगजुत्ता, * स च्चिय पुणरवि य मरणसंब्भावा / / अविरयसम्मद्दिष्टिस्स बंधहेऊण छायाला // 21 // ओरालमिस्सकम्मणजोगाः तससंजमेहि परिहीणा / / बीयकसाएहिं - चिय, विरयाविरयम्मि गुणचत्ता // 22 // अविरइमिक्कारसहा; . पञ्चक्खाणे ...य चयय तत्थेवः / / / पक्खिक्यिाहारदुर्ग, पमत्तविश्यस्स छव्वीसा // 23 // घेउव्विमिस्सआहारमिस्सवज्जाऽपमत्ति :, चउवीसा / / वेउब्वियआहारगरहिया ; बावीसऽपुव्वस्सः // 24 // / --"तेत्तीस" इत्यपि / 2 "उ" इत्यपि / 3 "मिस्सो" इत्यपि / 4 "मिस्सो वि' इत्यपि / . ...

Loading...

Page Navigation
1 ... 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716