Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
View full book text ________________ // अहम् / / . . . *कर्मस्तवभाष्यम् / बंधे 'वीसुत्तरसयं, सयबावीसं तु होइ उदयंमि / / *उईरणाइ एवं, अडयालसयं तु संतमि // 1 // 1 // वीसंबंधे बंधणसंघाया : नियतणुग्गहणगहिया / / चन्नाइविंगप्पा वि हु, न य बंधे 'सम्ममीसाइ // 2 // सामन्नणं एयं, सत्तरससयं तु होइ मिच्छस्स / / / तित्थयराहारदुर्ग, . .न बंधए फिट्टए तेणं // 3 // 3 // सम्मामिच्छद्दिट्ठी, आऊणि न बंधए 'जओ ताणि / / फिट्टति 'तेण तस्स.उ, अज्झवसाओ जओ नत्थि // 4 // 4 // तित्थयरं पक्खिप्पइ, सम्मद्दिट्ठिमि बंधए जेण / / / सम्मत्तस्स "गुणेण य. आठण वि तत्थ खिप्पंति // 5 // 5 // आहारमप्पमत्ते, पक्खिप्पइ जेण * संजमो / तस्स / / उदए सत्तरससयं, मिच्छे पंचेहि रहियं तु // 6 // 6 // सम्म सम्मामिच्छं, आहारदुर्ग / तहेव. तित्थयरं / / पंच पयडी उ एया, मिच्छमि उ जाव फिट्टति // 7 // 7 // नरयाणुपुब्वियाए, सासणसम्ममि होइ न हु उदओ।। नरयंमि जं न गच्छइ, अवणिज्जइ तेण सा तस्स // 8 // 8 // सम्मामिच्छत्तं पुण, पक्खिप्पड, . 'सम्ममिच्छठाणंमि / / अणुपुव्वीओ फिट्टति जेण न हु अंतरा गच्छे // 9 // 9 // सम्मत्त पक्खिप्पइ, सम्मद्दिविम्मि जेण तस्सुदओ / / अणु पुब्बीण वि एवं, तेणं ताओ वि खिप्पंति // 10 // 10 // * कर्मस्तवोपरि भाष्यद्वयं प्राप्यते / तत्र प्रथमं द्वात्रिंशदाथात्मकं द्वितीयं च त्रयोविंशत्या चतुर्विंशत्या च गाथामिः संकलितम् / तत्र ताडपत्रपुस्तकेषु पत्रमयपुस्तकेषु च द्वितीयं भाष्यं दृश्यते, प्रथमं तु केषुचित्पत्रमयेष्वेव / तथापि द्वयोर्न सर्वथा भेदः। द्वितीयं प्रथमेऽन्तर्भवति / किन्तु गाथानां मूलकमो भिद्यतेऽनः प्रथममाष्यीयगाथक्रमेण सार्द्ध द्वितीयभाष्यगाथाक्रमो नोपेक्षितोऽस्मामिः। एका च द्वितीयभाष्यगाथा प्रथमे न दृश्यते याऽने उल्लेखिष्यते / द्वयोरपि कोंर्नाम नोपलभ्यते / 1. 'विसुत्तरसंयं" इत्यपि / 2 "उदीरणावि" इत्यपि पाठः / 3 “सम्ममीसाई' इत्यपि / 4 'तु बंधए मिच्छो' इति / 5 "तो" इति / 6 "जेण" इति / 7 “गुणेणं, आ०" इति // 8" पुवी वि हु एवं" इति /
Loading... Page Navigation 1 ... 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716