Book Title: Karmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 642
________________ सप्ततिकाभिधः षष्ठः कर्मग्रन्थः बंधस्स य संतस्स य, 'पगइट्ठाणाइँ तिण्णि तुल्लाई / उदयट्ठाणाइँ दुवे, चउ पणगं दंसणावरणे // 7 // 8 // बीआवरणे नवबंध एसु, चउपंचउदय नवसंता। छच्चउबंधे चेवं, चउबंधुदए छलंसा य // 8 // 9 // उवरयवंधे चउ पण, नवंस चउरुदय 'छच्च चउ संता। वेअणिआउयगोए, विभज्ज मोहं परं 'वुच्छं // 6 // 10 // गोअंमि सत्त भंगा, अट्ठ य भंगा हवंति वेअणिए / पण नव नव पण भंगा, आउचउक्के वि कमसो उ ॥११॥(प्र०) बावीस 'इक्कवीसा, सत्तरमं तेरसेव नव पंच / चउ तिग दुगं च इक्कं, बंधट्ठाणाणि मोहस्स // 10 // 12 // ''एगं व दो व चउरो, एत्तो "एगाहिआ दसुक्कोसा / ओहेण मोह''णिज्जे, उदय हाणाणि नव हुँति / / 11 / / 13 / / .1 "अट्ठय-सत्तय-छ-च्चउ-तिग-दुग-"एगाहिआ भवे वीसा। तेरस बारिक्कारस, इत्तो पंचाइ "एगूणा / / 12 / / 14 / / संतस्स पयडिठाणाणि, ताणि मोहस्स हुंति पन्नरस / / बंधोदयसंते पुण, भंगविगप्पा बहू जाण // 13 // 15|| छब्बावीसे चउ इगवीसे, सत्तरस तेरसे दो दो / "नवबंधगे वि"दुण्णि उ, "इकिक्कमओ परं भंगा // 14 // 16 // दस बावीसे नव "इगवीसे, सत्ताइ उदय कम्मंसा / - छाई नव सत्तरसे, तेरे पंचाइ अट्टेव // 15 // 17 // 1. "पगईठाणाणि तिन्नि तुल्लाणि" इति वा, "पगडिट्ठाणाणि तिन्नि सरिसाणि / " इति वा / 2. "उदयट्राणाणि” इति वा / 3. “गेसु” इति वा / 4. 'पंच उदय नवसंत छच्च चउजुयलं।" इत्यपि पाठः / 5. "छ चउसंताई" इत्यपि / 6. “वोच्छं" इति वा। 7. "य" इत्यपि / 8. "एकवीसा" इत्यपि। 6. "सत्तरसा" इत्यपि / 10. “एक्कं” इति वा "एगं” इति वा / 11. "एक्कं” इति वा, "एको” इति वा, "एको" इति वा, “एगं च दो य चउरो" इति वा / 12. "एक्काहिया" इत्यपि / 13. "०णिज्जा” इति वा / 14. “टाणा नव हवंति'' इत्यपि / 15. "अट्ठगसत्तग" इति / 16. “एक्का०" इत्यपि। 17 "बारेकारस" इति वा "बारेक्कारा" इति वा / 18. “एत्तो" इति वा / 16. "एक्कूणा' इत्यपि, “एकूणा" इत्यपि वा। 20. "पगडि०" इति वा, "पगइ०" इति वा, "पगइठाणाइँ" इति वा / 21. "होंति" इति वा / 22. "०विगप्पे” इति वा / 23. "बहुं" इत्यपि / 24. "णव०" इत्यपि / 25. "दोन्नि'' इत्यपि / 26. “एक्केक०" इत्यपि / 27. "इक्कवीस" इति वा “एगवीस" इति वा। 28 "ठाणाणि" इति वा "०ठाणाई"इति वा /

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