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११४ | ५ | ९/६ - २ ११३ ___५ ९/६
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१०४ ।
अनिवृत्तिकरण भाग-३ ८ अनिवृत्तिकरण भाग-४ अनिवृत्तिकरण | भाग-५, ८ अनिवृत्तिकरण | भाग-६ | ८ अनिवृत्तिकरण भाग-७ | ८ अनिवृत्तिकरण | भाग-८| ८ अनिवृत्तिकरण | भाग-९ ८ सूक्ष्मसम्पराय
१४२ १३६ ११ उपशान्तमोह १२ क्षीणमोह १३ सयोगिकेवली .. | ४ । ८५ । ० १४. अयोगिकेवली ...... | ४. ८५/१३/१२ ० ।
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२८
१०२
२८/२४/२१ ॥ १०१
२८/२४/२१
६/४ | २ |२८/२४/२१ ८५ । ० | २ ० । १२ । ० . ० | २/१ ०
" १३२ " । ९३ | २ १ । ८० | २ | १ । ८० | २ | ० १ | ८०/९ | २/१/ ० |
गुणस्थानों में बन्ध-सत्ता-उदय-उदीरणा प्ररूपणा ४५९
+ तद्भव-मोक्षगामी अनन्तानुबन्धी-विसंयोजक उपशम श्रेणी को करने वाले क्षायोपशमिक सम्यग्दृष्टि के १४१ की सत्ता मानी गई है।
तद्भव मोक्ष नहीं जाने वाले उपशम श्रेणी वाले क्षायिक सम्यग्दृष्टि की मानी जाती है। x नौवें गुणस्थान में नौ भागों में मोहनीय के २८-२४-२१ अंक सहित समझना चाहिए।
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