________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चंगदेव
धंधुका से खंभात ज्यादा दूर नहीं है। कुछ ही दिनों में वे खंभात पहुँच गये।
गुरुदेव ने चंगदेव को शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में पढ़ाई करने के लिए बिठाया। स्वयं उसे पढ़ाने लगे। चंगदेव की विनय... उसकी पैनी बुद्धि देखकर गुरुदेव को लगा...। __ 'यह लड़का अति शीघ्र ही विद्वान हो जाएगा। ढेर सारे शास्त्र यह पढ़ लेगा।' ___ एक दिन गुरुदेव ने गुजरात के महामंत्री उदयन को अपने पास बुलाया। उदयन मंत्री जैन धर्म को माननेवाले थे। उन्हें जैन धर्म पर गहरी श्रद्धा थी, दृढ़ आस्था थी। उनसे गुरुदेव ने कहा : ___ 'महामंत्री, यह लड़का धंधुका के चाचग सेठ का पुत्र है। इसे दीक्षा लेने की है। इसका भविष्य काफी उज्ज्वल है... यह जिनशासन का महान प्रभावी आचार्य होगा। इसकी दीक्षा का उत्सव तुम्हें करना है।'
'किस्मत खुल गई...गुरुदेव मेरी! अवश्य करूँगा मैं इस बच्चे की दीक्षा का महोत्सव! शानदार महोत्सव करूँगा! कब देना चाहते हैं, आप इसे दीक्षा?'
महामंत्री उदयन ने पूछा। 'महा सुदी चौदस के दिन!'
महामंत्री ने बड़ा भारी उत्सव किया । धूमधाम से चंगदेव को आचार्यदेव ने दीक्षा दी। उसका नया नाम रखा गया सोमचन्द्र मुनि!'
'बोलो, सोमचन्द्र मुनि की जय !'
For Private And Personal Use Only