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सोमनाथ महादेव प्रगट हुए
'गुरुदेव... ऐसा कोई उपाय बतलाइये ताकि सोमनाथ महादेव का मंदिर शीघ्र ही तैयार हो जाए! । ___ सब धर्मों के प्रति समभाव धारण करनेवाले अपने भक्त राजा कुमारपाल का प्रश्न सुनकर आचार्यदेव ने कहा :
'कुमारपाल, कोई बड़ा व्रत तुम्हें स्वीकार करना चाहिए। व्रत के पालन से पुण्य बढ़ता है और पुण्य बढ़ने से कार्य की पूर्णाहुति शीघ्र होती है... निर्विघ्न होती है!
कुमारपाल ने कहा : 'मेरे योग्य जो भी व्रत आपको लगता हो, आप मुझे कहिए | मैं अवश्य आपके द्वारा प्रदत्त व्रत को ग्रहण करूँगा।'
गुरुदेव ने कहा : 'राजन्, मांसाहार छोड़ दीजिए और मद्यपान-शराब का त्याग कीजिए।
राजेश्वर... जो आदमी मांसाहार नहीं करता है... किसी जीव की हत्या नहीं करता है... वह आदमी सभी प्राणियों का मित्र है!
- पैसे लेकर मांस बेचनेवाले... - मांस खानेवाले... - जीवों को मारनेवाले, - जीवों के वध की योजनाएँ बनानेवाले ये सभी घातक हैं... हिंसक हैं... महापाप करनेवाले हैं। इसी तरह... मदिरा बनानेवाले... मदिरा पीनेवाले... मदिरा बेचनेवाले... मदिरा बनाने की योजना बनानेवाले...
ये सभी घोर पाप करनेवाले हैं। इस पाप के फलस्वरुप नरक के घोर दुःख प्राप्त होते हैं।
राजा ने दो प्रतिज्ञाएँ ग्रहण की : जीवनपर्यंत मांसाहार नहीं करना । जीवनपर्यंत मदिरापान नहीं करना ।
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