Book Title: Kalikal Sarvagya
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 144
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सच्ची सुवर्णसिद्धि १३४ __ गुरुदेव, मैं मेरे दुःखी साधर्मिकों का उद्धार करूँगा। गुजरात के एक भी साधर्मिक को दु:खी नहीं रहने दूँगा। कोई साधर्मिक गरीबी का शिकार नहीं रहेगा। साधर्मिकों से कोई कर नहीं लूंगा। और सभी साधर्मिकों का बहुमान भक्ति करूँगा।' हर्ष से गुरुदेव की आँखें छलछला गई। कुमारपाल ने गुरुदेव के आशीर्वाद लिए...रथ में बैठ कर वे पाटन को लौटे। - जैनों से मिलनेवाला ७२ लाख सुवर्णमुद्रा का कर माफ कर दिया । - करोड़ो रुपये खर्च करके लाखों दुःखी जैनों को सुखी बनाये। - हर साल सभी साधर्मिकों की उत्तम प्रकार से भक्ति की। इस तरह लाखों जैनों को धर्म में स्थिर किये। गुजरात के एक-एक जैन के हृदय में गुरुदेव श्रीहेमचन्द्रसूरिजी और कुमारपाल की प्रतिष्ठा हो गई। For Private And Personal Use Only

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