________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
८४
काशीदेश में अहिंसा-प्रचार से हिंसा को दूर करें। सभी दुःखों की जड़ है हिंसा। सभी सुखों का कारण है दया।
मेरी विनती पर गंभीरतापूर्वक सोचकर अपने इलाके में से हिंसा को दूर हटाएंगे। हिंसा का त्याग करेंगे वैसी मेरी अभ्यर्थना है।'
राजा जयन्तचन्द्र और राजसभा में उपस्थित सभी लोगों के दिल को राजा कुमारपाल का संदेश छू गया।
राजा ने कहा : ___ 'मेरे प्यारे प्रजाजन, धन्य है वह गूर्जरदेश और धन्य है गुजरात की धरती जहाँ पर ऐसे दयालु राजा बसते हैं। जीवों की रक्षा के लिए, हिंसा को हटाने एवं अहिंसा की स्थापना करने के लिए कितने सुन्दर तरीके खोज निकाले हैं। गूर्जरेश्वर का मन सचमुच पुण्यकार्य में प्रवृत्त है। मैं उन्हें सच्चे दिल से धन्यवाद देता हूँ। ____ गूर्जरपति ने अपने गुरू हेमचन्द्राचार्य के उपदेश से दयाधर्म का प्रवर्तन किया है तो मैं गूर्जरपति की प्रेरणा से मेरे राज्य में... मेरी हुकुमत के इलाके में दयाधर्म का प्रवर्तन करूँगा। मेरा यह कर्तव्य है।
कहिए...मेरे प्रजाजन! 'आप सभी मांसाहार का त्याग करेंगे ना?' 'अवश्य महाराजा । आपकी आज्ञा हमें मंजूर है।' सभासदों ने घोषणा की। राजा जयंतचन्द्र ने अपने महामंत्री से कहा : 'महामंत्रीजी, आज ही इस नगर में और राज्य के सभी गाँव नगर में ढिंढोरा पिटवा दो कि मछली पकड़ने की जाली और जीव हिंसा करने के तमाम शस्त्र-हथियार वाराणसी नगरी के मध्य चौक में सभी डाल जाए। फिर उस ढेर को गूर्जरपति के इन सचिवों की उपस्थिति में आग लगा दी जाए... और देश में उद्घोषणा करवा दो कि काशी देश में हिंसा को जला दिया गया है। अब से हिंसा का कोई साधन-हथियार बनेगा नहीं-बिकेगा नहीं।' ___ महामंत्री ने राजा की आज्ञा के मुताबिक समूचे देश में घोषणा करवा दी। पाँच-सात दिन में तो वाराणसी के मध्यचौक में एक लाख अस्सी हजार जालियाँ (मछली पकड़ने की जाली) इकठ्ठी हो गयी। अन्य शस्त्रों का भी ढेर लग गया।
For Private And Personal Use Only