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कुमारपाल का राज्याभिषेक
'महामंत्री, इतनी सही और सटीक भविष्यवाणी किसने की?' 'क्या करेंगे आप वह जानकर?' 'क्यों? मेरे प्राणों को बचानेवाले उपकारी को भी मैं नहीं जान सकता?'
यह भविष्यवाणी करनेवाले वे ही महापुरुष हैं... जिन्होंने एक दिन मेरी उपस्थिति में आपको कब राज्य की प्राप्ति होगी... इसकी भविष्यवाणी की थी। और वह भविष्यवाणी अक्षरशः सही सिद्ध हुई। याद है आपको? आप जब खंभात में आये थे... कष्टों और कठिनाइयों ने आपको थका डाला था... तब गुरुदेव ने एक कागज पर आपको राज्य प्राप्ति का वर्ष-महीना और दिन लिखकर दिया था और दूसरा कागज मुझे लिखकर दिया था?
याद कीजिए, महाराजा, उनके उपाश्रय के तलघर में उन्होंने आपको अपनी जान की परवाह किये बगैर भी छुपा के संरक्षण दिया था? सिद्धराज के सैनिक आपकी तलाश में वहाँ पर आ धमके थे? यह सब याद आ रहा है?'
कुमारपाल सहसा खड़े हो गये। वे बोले : 'महामंत्री, वे उपकारी गुरुदेव तो हेमचन्द्रसूरीश्वरजी हैं। क्या वे पाटन में पधारे हैं?' कुमारपाल ने महामंत्री के दोनों कंधे पकड़कर उन्हें झिंझोड़ सा दिया। ___ 'जी, हाँ!' महामंत्री ने अपने जेब में रखा हुआ भविष्यवाणी वाला वह कागज निकाला और राजा को बताया!
'महामंत्री, मुझे उन महापुरुष के दर्शन करने हैं!'
'आप प्राभातिक कार्यों से निवृत्त हो... रानी के अंतिम संस्कार भी करने होंगे। राज्य में शोक की घोषणा करनी होगी। आप राजसभा में पधारेंगे तब मैं वहाँ पर गुरुदेव को साथ लेकर पहुँचता हूँ।' ____ महामंत्री अपने घर पर गये। स्नान वगैरह कर के स्वच्छ वस्त्र पहने और गुरुदेव के पास गये। राजा के साथ हुई बात गुरुदेव से निवेदित की और राजसभा में पधारने की विनती की।
आचार्यदेव महामंत्री के साथ राजसभा के द्वार पर आये। राजा कुमारपाल मंत्रीवर्ग के साथ वहीं पर खड़े थे। मेघ को देखकर मयूर नाच उठे! चन्द्र को निहारकर चकोर झूम उठे! वैसे गुरुदेव को देखकर राजा का मन भर आया।
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