Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 9
________________ कर सकते हैं जिनसे खुले द्वारों पर भी हथकड़ी और बेड़ियाँ लग जाती हैं । भला जब 'क' से कृष्ण और 'र ' से राम हो सकता है तो फिर 'क' से कंस और 'र' से रावण बनने की बेवकूफ़ी क्यों करें? कर्म तो इंसान के लिए कामधेनु और कल्पवृक्ष है। इससे हम वही फल चाहें जिनकी मिठास हम ही नहीं, हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी लें। कहते हैं, दुनिया के एक बाल मेले में अलग-अलग तरह की दुकानें लगी हुई थीं। लालीपॉप, चॉकलेट, तरह-तरह के फल, नमकीन और मिठाइयों की दुकानों के बीच एक तरफ कोने में एक व्यक्ति ठेलागाड़ी लगाए हुए खड़ा था, जिस पर आसमान को छूने वाले गुब्बारे थे। अलग-अलग तरह के रंग-बिरंगे गुब्बारे। कोई लाल, कोई पीला, कोई नीला, कोई हरा, कोई सफ़ेद। जब भी उस दुकानदार को लगता कि ग्राहक कम हो गए तो झट से दस-बीस की तानें तोड़ता और आसमान में छोड देता। मेले में आने वाले बच्चे उन गुब्बारों को देखते, रंगों से आकर्षित होते और उस गुब्बारे की दुकान पर चले जाते। एक बच्चा पन्द्रह मिनट से इन गुब्बारों को देख रहा था, आसमान को छूते हुए। वह गुब्बारे बेचने वाले के पास आया और कहने लगा कि अंकल, आपकी दुकान पर कई तरह के गुब्बारे हैं लाल, पीले, हरे, नीले। ये सारे गुब्बारे आसमान तक पहुँच रहे हैं, पर ज़रा आप मुझे बताइये कि क्या काले रंग का गुब्बारा भी इसी तरह आसमान तक पहुँच सकता है? गुब्बारे वाले ने उस बच्चे को देखा, काला रंग, हब्सी जैसा चेहरा, घुघराले बाल, सामान्य कपड़े पहने हुए। फटी निकर, फटा पुराना शर्ट और लड़के के चेहरे को देखकर गुब्बारे बेचने वाला समझ गया कि वह बच्चा आखिर पूछना क्या चाहता है? उसने बच्चे के माथे पर हाथ फेरा और कहा कि बेटा ! इस बात को जिंदगी भर याद रखना कि कोई भी गुब्बारा अपने रंग, रूप और जाति के कारण आसमान की ऊँचाइयों को नहीं छूता। जो भी गुब्बारा आसमान तक पहुँचा करता है वह उस गुब्बारे में भरी जाने वाली गैस और ताक़त के कारण ही आसमान की ऊँचाइयों को छुआ करता है। उस बच्चे ने पूछा कि इसका मतलब यह हुआ कि अगर मैं काले रंग का हूँ तो भी आसमान की ऊँचाइयों को छू सकता हूँ? गुब्बारे बेचने वाले ने कहा – बेटा! कोई भी गुब्बारा आसमान तक पहुँचता है तो इसलिए कि मैंने उसमें हीलियम गैस भरी है और अगर तुम भी अपनी ज़िंदगी में ऐसी कोई ताक़त भर डालो तो तुम्हारी जिंदगी भी आसमान जैसी ऊँचाइयों को छू सकती है। 10 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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