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शुक्र की दृष्टि उसे अनायास धन दिलाती है। साथ ही वह कामी भी बहुत होता है।
शनि की दृष्टि जातक को समाज में प्रतिष्ठा दिलाती है। वह अपने समाज का नेतृत्व भी करता है।
पुष्य के विभिन्न चरणों में शुक्र की स्थिति
पुष्य के तृतीय चरण को छोड़कर शेष सभी चरणों में स्थित शुक्र शुभ फल प्रदान करता है ।
प्रथम चरणः यहाँ शुक्र जातक को व्यापारिक बुद्धि देता है और वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार तक से संबद्ध हो सकता है।
द्वितीय चरणः यहाँ शुक्र जातक को बुद्धिमान और उसके व्यक्तित्व को आकर्षक बनाता है। स्त्रियां उसके प्रति चुंबकीय आकर्षण अनुभव करती हैं। फलतः जातक कामी बन जाता है ।
तृतीय चरणः यहाँ शुक्र के कारण व्यक्ति दबा-दबा सा रहता है । खुलकर अपनी बात नहीं कह पाता । प्रेम में भी उसे निराशा मिलती है।
चतुर्थ चरणः यहाँ शुक्र के कारण जातक दार्शनिक स्वभाव का बन जाता है । विज्ञान में भी उसकी रुचि होती है। ऐसे व्यक्ति का पारिवारिक जीवन सुखी नही होता। एक तो विवाह में विलंब होता हैं, दूसरे उसकी पत्नी को भी कोई न कोई रोग घेरे रहता है।
पुष्य स्थित शुक्र पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि शुभ होती है। जातक उद्योगपति हो सकता है। उसे पत्नी भी अच्छी मिलती है। सुंदर और संपन्न । उसकी संपत्ति का भी जातक को लाभ मिलता है।
चंद्र की दृष्टि के कारण जातक का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है। मंगल की दृष्टि उसे ललित कलाओं के माध्यम से धनी बनाती है । बुध की दृष्टि उसे विद्वान बनाती है। उसकी पत्नी भी विदुषी होती है गुरु की दृष्टि के फलस्वरूप उसे जीवन के सारे सुख प्राप्त होते हैं । शनि की दृष्टि जातक को अभावग्रस्त बनाती है। तरह-तरह के रोग भी उसे घेरे रहेते हैं ।
पुष्य के विभिन्न चरणों में शनि की स्थिति
पुष्य के तृतीय चरण को छोड़कर शेष सभी चरणों में शनि की स्थिति शुभ फल देती है ।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र - विचार - 112
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