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होता है, उदाहरण के लिए यदि प्रथम चरण में यह नक्षत्र लग्न में हो और उसमें बुध स्थित हो, साथ ही रेवती नक्षत्र में गुरु, सूर्य और मंगल हो, पुष्य में शनि हो तथा पूर्वाषाढ़ा में शुक्र हो तो जातक राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के तुल्य होता है।
प्रथम चरणः यहाँ बुध मध्यम श्रेणी की संपन्नता प्रदान करता है। द्वितीय चरण: यहाँ भी बुध सामान्य फल देता है। .
तृतीय चरणः यहाँ बुध जातक को वित्तीय विषयों में निष्णात बनाता है। यदि सूर्य के साथ बुध हो अर्थात् बुद्धादित्य योग बनता हो तो जातक अच्छा ज्योतिषी बनता है।
चतुर्थ चरणः यहाँ बुध नौकरी पेशे में प्रवृत्त करता है। अपनी खान-पान की आदतों के फलस्वरूप जातक उदर रोगों का शिकार हो जाता है।
हस्त स्थित बुध पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि शुभ फल देती है। व्यक्ति, सत्यवादी, उच्च पदासीन और सत्ता पक्ष से लाभान्वित होता है।
चंद्र की दृष्टि उसे मृदुभाषी लेकिन स्वभाव से उग्र भी बनाती है। जातक सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देता है।
मंगल की दृष्टि उसे कला-प्रिय बनाती है। वह विविध कलाओं में निष्णात भी होता है।
गुरु की दृष्टि उसे साहसी और सर्वगुण संपन्न बनाती है।
शुक्र की दृष्टि से जातक सहजता से शत्रुओं को पराजित करता है। __ शनि की दृष्टि उसे कठिन परिश्रमी बनाती है। ऐसे जातक को अपने परिश्रम का तत्काल फल भी मिलता है।
हस्त के विभिन्न चरणों में गरु
हस्त के विभिन्न चरणों में गुरु के मध्यम फल मिलते हैं।
प्रथम चरण: यहाँ गुरु सामान्य फल देता है तथापि यदि लग्न में रेवती नक्षत्र हो तो जातक वित्तीय विषयों का विशेषज्ञ बनाता है और शासन में उच्च पद प्राप्त करता है।
द्वितीय चरण: यहाँ गुरु जातक को नौ सेना अथवा जहाज रानी से जोड़ता है। तृतीय चरणः यहाँ गुरु जातक को वास्तुकार अथवा इंजीनियर
. ज्योतिष कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार 3 147
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