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धनी होते हैं अतः किसी भी क्षेत्र में चमक सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र एवं खगोल विषय के प्रति भी उनका झुकाव होता है।
सामान्यतः ऐसे जातक को माता का पूर्ण स्नेह प्राप्त नहीं हो पाता । इसका एक कारण माता से ज्यादातर समय अलगाव भी हो सकता है । जातक के पिता का ललित - कला या लेखन में क्षेत्र में पर्याप्त यशस्वी होना भी बताया गया है और पिता की इस प्रसिद्धि का जातक को भी लाभ मिलता है।
वैवाहिक जीवन सामान्यतः सुखी ही बीतता है ।
इस नक्षत्र में जन्मी जातिकाओं के विषय में भी लगभग उपरोक्त सभी बातें घटित होती हैं। वह भी सत्यनिष्ठ, ईमानदार, विनम्र तथा वाकई जरूरत मंदों की भरपूर सहायता करने वाली होती हैं। ऐसी जातिकाओं की विज्ञान या तकनीकी विषयों में ज्यादा रुचि होती है। वे एक सफल शिक्षिका, सांख्कीय विशेषज्ञा या शोधकर्त्री बन सकती है। उनकी ज्योतिष शास्त्र में भी अच्छी पैंठ हो सकती है ।
ऐसी जातिकाओं का पारिवारिक जीवन सुखी होता है, वे पति को, अपने बच्चे को पूर्ण प्यार देती हैं।
ऐसी जातिकाओं को निम्न रक्तचाप के लक्षणों को सहजता से न लेकर चिकित्सा पर तत्काल ध्यान देना चाहिए।
पूर्वाभाद्रपद के प्रथम चरण का मंगल, द्वितीय का शुक्र, तृतीय का बुध तथा चतुर्थ का स्वामी चंद्र माना गया है ।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में सूर्य के फल
प्रथम चरण ः यहाँ सूर्य जातक के बच्चों से अलगाव की सूचना देता है । शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो जातक धनी एवं सुखी पारिवारिक जीवन वाला होता है, अन्यथा अभावग्रस्त जीवन के फल कहे गये हैं ।
द्वितीय चरणः यहाँ सूर्य हो तो जातक को ससुराल पक्ष से लाभ मिलता है । वह जल से संबंधित व्यापार में ज्यादा सफल होता है ।
तृतीय चरणः यहाँ यदि शनि, मंगल और चंद्र के साथ युति हो तो उसे जातक के लिए बचपन के तीन वर्ष घातक बताये गये हैं ।
चतुर्थ चरण: यहाँ जातक की मनःस्थिति सदैव बेचैन रहती है। वह अतिशय भावुक भी होता है। ऐसे जातक अतींद्रिय शक्ति से भी संपन्न माने गये हैं ।
पूर्वाभाद्रपद स्थित सूर्य एवं अन्य ग्रहों पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि के ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1) नक्षत्र विचार 226
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