Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 226
________________ कठिन से कठिन कार्यों को भी पूर्ण करता है। ऐसे जातक सेना एवं पुलिस सेवा में विशेष सफल होते हैं। चतुर्थ चरणः यहाँ शनि जातक को वैभव संपन्न तथा विदेश में आवास करने वाला बनाता है । पारिवारिक जीवन सुखी होता है। पचपन वर्ष की अवधि में पत्नी मानसिक रुग्णता का शिकार हो सकती है। शतभिषा नक्षत्र में राहु के फल शतभिषा नक्षत्र में राहु अकेले हो तो विशेष शुभ फल नहीं मिलते। अन्य ग्रहों से युति होने पर उनकी प्रकृति के अनुसार राहु फल देता है । उनकी दृष्टि भी अच्छे-बुरे फल देती है 1 प्रथम चरणः यहाँ राहु पर शनि बुध की दृष्टि तपेदिक का रोगी बना देती है। द्वितीय चरण: यहाँ राहु पर गुरु की दृष्टि शुभ फल देती है। जातक उच्च पद पर पहुँच सकता है। तृतीय चरणः यहाँ शनि के साथ युति हो तो जातक में नौकरी, चोरी आदि कुकर्मों में प्रवृत्ति पैदा होती है । तथापि वह उदार भी होता है । चतुर्थ चरणः यहाँ चंद्र के साथ युति माता-पिता के लिए अशुभ मानी गयी है । शतभिषा नक्षत्र में केतु के फल शतभिषा नक्षत्र में केतु अच्छे फल नहीं देता है। अधिकांश चरण में वह जातक के दरिद्र, अभावग्रस्त और दुखी जीवन की ही सूचना देता है। ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 224 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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