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फल सामान्यतः वैसे ही बताये गये हैं, जैसे श्रवण नक्षत्र स्थित ग्रहों पर अन्य ग्रहों की दृष्टि के फल।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में चंद्र
. पूर्वाभाद्रपद में चंद्र की स्थिति हो तो जातक धनी, स्त्री के वश में रहने वाला, कृपण तथा अस्थिर मति का होता है।
प्रथम चरण: यहाँ उपरोक्त फल ही मिलते हैं।
द्वितीय चरणः यहाँ जातक छरहरा, निर्भीक तथा हठी स्वभाव का होता है। वह किसी की भी बात नहीं सुनता। तैंतीस वर्ष की अवस्था में उसे किसी दुर्घटना का शिकार होने की आशंका भी दर्शायी गयी है।
तृतीय चरणः यहाँ जातक भीतर-बाहर कुटिल प्रवृत्ति का ही होता है। दो पत्नियों के भी योग बताये गये हैं।
चतुर्थ चरणः यहाँ चंद्र के शुभ फल मिलते हैं। जातक धनी, स्वाभिमानी तथा बड़ों का आदर करने वाला होता है। बचपन में उसे जल दुर्घटना की आशंका दर्शयी गयी है।
ऐसे जातक को युवावस्था में नौकरी के कारण घर छोड़ना पड़ सकता है।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में मंगल के फल
इस नक्षत्र में चतुर्थ चरण में ही मंगल शुभ फल देता है। वह भी तब जब उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि न हो। __ प्रथम चरण: यहाँ जीवन दुखी होता है। जातक चिड़चिड़े स्वभाव वाला पाखण्ड पूर्ण जीवन बिताता है।
द्वितीय चरण: यहाँ विशेष फल नहीं मिलते।
तृतीय चरणः यहाँ मंगल हो तो जातक मेटल या मेकेनेकिल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर धन कमा सकता है।
चतुर्थ चरण: यहाँ मंगल शुभ फल देता है।
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में बुध __पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में बुध विधि के अलवा लेखन, प्रकाशन के क्षेत्र में सफलता की स्थिति दर्शाता है।
प्रथम चरण: यहाँ बुध की गुरु के साथ युति हो तो जातक कानूनी विषयों में दक्ष होता है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 227
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