________________ The real wealth of life, a must for every family. SAHAJ-ANAND A Perfect Guide to Ultimate Happiness A Bilingual Quarterly devoted to Quest, Bliss and knowledge in the realm of Spirituality, Religion, Culture, Literature and Universal experiences of Mankind. आज हम अपनी पहचान खो रहे हैं। 'सहज-आनन्द' हमें अपनी पहचान खोने से बचाने में सहायक है। सम्पादन और सामग्री चयन में सुरुचि स्पष्ट दिखाई देती है। -डॉ. लक्ष्मी मल्ल सिंघवीं, नई दिल्ली निष्पक्ष चयन के कारण ‘सहज-आनन्द' ने पत्रकारिता जगत् में अपना स्थान बना चुकी है। नए और पुराने रचनाकारों का ऐसा संगम विस्मृत करनेवाला है। दूसरी पत्रिकाओं की तरह ज-आनन्द' में न तो दकानदारी की गंध है और न ही यह भाई-भतीजाबाद के रोग से ग्रसित है। बहुत वर्षों में ऐसी सुंदर पत्रिका देखी। -प्रो. एल. सी. जैन, जबलपुर (म.प्र.) 'सहज-आनन्द' में धर्म-दर्शन-इतिहास की अनेक गुत्थियों को सरलता से सुलझाया जाता है। 'सहज-आनन्द' में महत्वपूर्ण सूचनायें हैं; सभी अनुशीलन संस्थाएँ इसका स्वागत करेंगी। ज्ञान के अथाह सागर में देदीप्यमान दुर्लभ मुक्ताओं को चुनकर 'सहज-आनन्द' में प्रकाशित करने का दुष्कर कार्य आपकी गहरी पैठ एवं नीर-क्षीर विवेक का द्योतक है। -डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव, पटना (बिहार) 'सहज-आनन्द' में गंभीर सामग्री, मौलिकता एवं शुद्ध मुद्रण देखकर आश्चर्यचकित हूँ। -डॉ. राजाराम जैन, आरा (बिहार) आध्यात्मिक प्रसंगों से सामाजिक संदर्भो तक विविध आयाम 'सहज-आनन्द' में देखने को मिले। 'सहज-आनन्द' उन स्वादिष्ट व्यंजनों की एक सजी हुई तश्तरी के समान है जिसे शाही भोज के अवसरों पर परोसा जाया करता है।। -दशरथ जैन (पूर्वमंत्री) छतरपुर (म.प्र.) 'सहज-आनन्द' अमोघ संजीवनी की भांति ज्योतिपुंज है। हिंसा, अनैतिकता एवं तनावपूर्ण युग में 'सहज-आनंद' का एक प्रकाशन एक रचनात्मक प्रयास है। -दशर्न लाड़ (फिल्म निदेशक), मुम्बई वार्षिक : 110 रुपये आजीवन : 2000 रुपये MEGH PRAKASHAN मे घ 239, Dariba Kalan, Delhi-110 006 (India) __ Phone : 22913794,23278761 E-mail : meghprakashan@rediffmail.com Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org