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द्वितीय चरण एवं तृतीय चरण में राहु नकारात्मक फल देता है । यही स्थिति चतुर्थ चरण में भी बनती है।
रेवती नक्षत्र में केतु के फल
प्रथम चरण: यहाँ केतु की शुक्र से युति हो तो चिकित्सा के क्षेत्र में सफल होता है ।
द्वितीय चरण: यहाँ जातक काफी संघर्ष के बाद सफल होता है। पैंतीस वर्ष तक प्रायः उसे अपने परिवार से अलग जिंदगी बितानी पड़ती है । तृतीय चरणः यहाँ जातक को व्यवसाय के सिलसिले में यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। जीवन सुखी बीतता है ।
चतुर्थ चरणः यहाँ जातक ठेकेदारी का कार्य करता है। वह किसी की भी आधीनता पसंद नहीं करता, इसलिए भी अपने ही स्वतंत्र व्यापार या व्यवसाय में लगना चाहता है।
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ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1 ) नक्षत्र विचार 239
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