Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 235
________________ द्वितीय चरणः यहाँ जातक को वाणिज्य या विधि के क्षेत्र में सफलता मिलती है। उसमें साहित्यक रुचि भी होती है। तृतीय चरण: यहाँ बुध की स्थिति जातक के विद्वान होने की सूचना देती है। ऐसे जातक इंजीनियरिंग, आडिटिंग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। वे कोई स्वतंत्र व्यवसाय भी कर सकते हैं। चतुर्थ चरणः यहाँ जातक शासकीय सेवा में रत होता है। उसका जीवन धन एवं अच्छी पत्नी, अच्छे बच्चों के कारण सुखी बीतता है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में गुरु के फल प्रथम चरणः यहाँ जातक शासकीय सेवा में जाता है। द्वितीय चरणः यहाँ भी धन आदि दृष्टि से सुखी जीवन के फल मिलते हैं। तृतीय चरणः यहाँ जातक धार्मिक प्रवृत्ति का होता है। चतुर्थ चरणः यहाँ जातक में चिकित्सक बनने की क्षमता दर्शाता है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में शुक्र के फल प्रथम चरणः यहाँ शुक्र की चंद्र के साथ युति जातक को ईष्यालु प्रकृति का बनाती है। द्वितीय चरण: यहाँ शुक्र के शुभ फल मिलते हैं। जातक का जीवन सफलताओं से भरा, सुखी होता है। पत्नी भी सुशील, व्यवहार कुशल मिलती है। ततीय चरण: यहाँ भी शक्र अच्छी धन-दौलत और सुखी जीवन की सूचना देता है। जातक ठेकेदारी में सफलता पा सकता है। चतुर्थ चरण: यहाँ शुक्र की स्थिति को परम सौभाग्यकारक माना गया है। जातक के पास प्रचुर संपत्ति ही नहीं, उसमें सुख भी मिलता है। अन्य ग्रहों की शुभ दृष्टि हो तो जातक अनेक उद्योगों का स्वामी भी होता है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में शनि के फल प्रथम चरणः यहाँ गुरु के साथ शनि की युति एक उच्च प्रशासक पद के योग्य बनाती है। द्वितीय चरण: यहाँ पत्नी के जीवन की दृष्टि से शुभ फल नहीं मिलते। तृतीय चरणः यहाँ शनि-चंद्र की युति हो तो जातक विज्ञान के क्षेत्र में निष्णात होता है। बुध के साथ युति जातक को लिपिक या इंजीनियर भी बना सकती है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 233 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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