Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 237
________________ रेवती राशि पथ में यह नक्षत्र 346.40 अंशों से 360.00 अंशों के मध्य स्थित है। पूषा एवं पौष्णम इसके अन्य नाम है। अरबी में से बत्तन अल हत कहते है-अर्थात् मछली का पेट। इस नक्षत्र में बत्तीस तारे माने गये हैं जिनकी आकृति मृदंग की भांति मानी जाती है। पूषा को नक्षत्र का देवता तथा बुध को अधिपति माना गया है। गणः देव, योनिः गज एवं नाड़ीः अंत है। यह नक्षत्र मीन राशि के अंतर्गत आता है, जिसका स्वामी गुरु है। चरणाक्षर हैं--दे, दो, चा, ची। रेवती नक्षत्र में जन्मे जातकों का शरीर सुगठित होता है। निर्मल हृदय वाले ऐसे जातक मधुर भाषी, व्यवहार-कुशल एवं स्वतंत्र प्रकृति के होते हैं। वे अनावश्यक रूप से दूसरों के कामों में उलझते नहीं, न स्वयं चाहते कि कोई उनके कार्यों में हस्तक्षेप करें। कभी-कभी ऐसे जातकों का स्वभाव उग्र हो जाता है। यह स्थिति तब बनती है जब कोई उन्हें उनके सिद्धांतों से डिगाने की कोशिश करता है। चे अतिशय सिद्धांतप्रिय होते हैं। रेवती नक्षत्र में जन्मे जातकों को अत्यंत धर्मशील कहा गया है। रुढिप्रिय ऐसे जातक कभी-कभी घोर अंधविश्वासी भी बन जाते हैं। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 235 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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