Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 227
________________ पूर्वाभाद्रपद पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र राशि पथ में 320.00 अंशों से 333.20 अंशों के मध्य स्थित है । पूर्वाभाद्रपद के पर्यायवाची नाम हैं- अजैक पाद, अजपाल । अरबी में उसे अल फर्ग- अल मुकदीम कहते हैं । 1 पूर्वाभाद्रपद का एक अर्थ है पूर्वाभद्र अर्थात् सुंदर, पाद अर्थात् चरण । इस दृष्टि से सही उच्चारण पूर्वाभद्र पद होना चाहिए । पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में दो तारे हैं। स्वामी है अजैक पाद, जिसे रुद्र अर्थात् शिव का एक रूप माना गया है। गुरु को इस नक्षत्र का अधिपत्य दिया गया है। इस नक्षत्र की आकृति किसी मंच की भांति है तथा गणः मनुष्य, योनिः सिंह एवं नाड़ी: आदि है। चरणाक्षर हैं- से, सो, दा, दी । + यह नक्षत्र मीन राशि के अंतर्गत आता है, जिसका स्वामी गुरु है । पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जातक सामान्यतः मध्यम कद के शांतिप्रिय, बुद्धिमान, सिद्धांतवादी, सादगी पसंद तथा निष्पक्ष व्यवहार वाले होते हैं । ऐसे जातक ईश्वर के प्रति आस्था रखने वाले, धार्मिक कर्मकाण्ड करने वाले तथापि धर्म के मामले में रुढ़िवादी नहीं होते। वे सहृदय होते हैं, सबकी सहायता के लिए तत्पर । भौतिक संपत्ति से अधिक उनके पास सद्भावना एवं यश की पूंजी होती है। ऐसे जातक व्यवसाय में भी सफल होते हैं तथा यदि शासकीय सेवा में हो तो उसमें भी उनकी अनायास पदोन्नति होती ही रहती है। वे प्रतिभा के ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 225 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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