Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 210
________________ अभिजित अभिजित नक्षत्र राशि पथ में 276.40 अंशों से 280.54.13 अंशों के मध्य स्थित माना गया है। अभिजित के देवता ब्रह्मा हैं। इस नक्षत्र में तीन तारे हैं जो एक त्रिकोण की रचना करते हैं। अभिजित नक्षत्र के संबंध में एक पौराणिक कथा भी मिलती है। महर्षि व्यास के अनुसार एक बार अभिजित नक्षत्र आकाश में बहुत नीचे की ओर सरक कर लुप्त प्रायः हो गया। अब आकाश में केवल 27 नक्षत्र ही रहे। इंद्र ने स्कंद से इस समस्या का निवारण करने के लिए कहा क्योंकि गणना के .लिए 27 नक्षत्रों का होना आवश्यक था। स्कंद ने किस नक्षत्र को मिलाकर यह समस्या सुलझायी, इसकी कोई चर्चा नहीं है। विशोतरी दशा पद्धति में अभिजित का कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता अर्थात् उत्तर भारत में प्रायः अभिजित की उपेक्षा ही है। दक्षिण में अष्टोत्तरी महादशा पद्धति का प्रचलन है। उसमें अभिजित को मान्यता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक मध्यम कद के उदार, सौजन्यशील व्यवहार वाले तथा किसी न किसी क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाले होते हैं। वे ईश्वर भक्त तथा गुह्य विद्याओं में भी रुचि रखते हैं। अध्ययन में उनकी विशेष रुचि होती है तथा अपने व्यक्तित्व-कृतित्व से समाज में आदर भी पाते हैं। उनका विवाह लगभग तेईस वर्ष में हो जाता है। संतान भी अधिक ही होती हैं। इस नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं व्यवहार कुशल एवं किसी भी स्थिति से निपटने की सामर्थ्य रखती हैं। अपने परिश्रम से वे पर्याप्त धन अर्जित करती ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 208 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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