Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 222
________________ शतभिषा राशि पथ में 306.40 से 320.00 अंशों के मध्य शतभिषा नक्षत्र की स्थिति मानी गयी है । शतभिषा के पर्यायवाची नाम हैं, प्रचोता, शत तारका, वरुण, यम । अरबी में इसे साद अल-मलिक कहते हैं । जैसा कि नाम सूचना देता है, इस नक्षत्र में सर्वाधिक, सौ तारे हैं। इसका आकार वृत्त के समान अर्थात् गोल है । वरुण को देवता एवं राहु को इस नक्षत्र का अधिपति माना गया है । गणः राक्षस, योनिः अश्व एवं नाड़ीः आदि मानी गयी है । चरणाक्षर हैं - गो, सा, सी, सू । शतभिषा नक्षत्र में जन्मे जातक व्यक्तित्व से अभिजात वर्गीय प्रतीत होते हैं। कोमल शरीर, आकर्षक आँखें, चौड़ा माथा तथा उदर किंचित बाहर होता है। ऐसे जातकों में विलक्षण स्मरण शक्ति होती है। ऐसे जातक सत्यनिष्ठ, सत्य के लिए बलिदान देने से भी पीछे न हटने वाले तथा निस्वार्थ - वृत्ति के होते हैं। वे अत्यंत कोमल हृदय भी होते हैं। वे अपने निर्णय पर अडिग रहना जानते हैं । उनमें धार्मिकता का भी पुट होता है। ऐसे जातक अक्सर क्रोधित नहीं होते लेकिन क्रोधित होते हैं तो उन्हें रोक पाना कठिन होता है। लेकिन कोमल हृदय एवं बुद्धिमान होने के कारण उनका गुस्सा शीघ्र ही काफूर भी हो जाता है । ऐसे जातक प्रदर्शन-प्रिय नहीं होते। संकोच के कारण वे अपनी प्रतिभा का पता नहीं लगने देते। लेकिन बातचीत के दौरान सामने वाला उनकी प्रतिभा का कायल हो जाता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र - विचार ■ 220 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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