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स्वाति के विभिन्न चरणों में राह
प्रथम चरणः यहाँ राहु जातक को क्रूर और नैतिकता-हीन बनाता है।
द्वितीय चरण: यहाँ भी राह जीवन को अभावग्रस्त रखता है। तृतीय चरण: यहाँ राहु जातक को रोगग्रस्त रखता है। चतुर्थ चरण: यहाँ राहु अपेक्षाकृत शुभ होता है। जातक उदार होता है।
स्वाति के विभिन्न चरणों में केतु
प्रथम चरण: यहाँ केतु जातक को ललितकला प्रेमी और दीर्घजीवी बनाता है।
द्वितीय चरण: यहाँ केतु शुभ फल नहीं देता। जातक स्त्री-लोलुप होता है।
तृतीय चरणः यहाँ भी केतु शुभ फल नहीं देता। जातक निम्न प्रवृत्ति के लोगों के बीच समय बिताता है। . चतुर्थ चरणः यहाँ केतु शुभ फल देता है। जातक का पारिवारिक जीवन सुखी रहता है। यों तो वह अधिकार संपन्न भी होता है तथापि धन के मामले में उसे मात्र उदर पूर्ति के लिए पर्याप्त आय ही होती है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 163
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