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उस पर शुक्र की दृष्टि हो तो यह योग और प्रबल होता है। वह विदेशों में पर्याप्त धन भी अर्जित करता है। यदि चंद्र की ऐसे बुध पर दृष्टि हो तो जातक स्वदेश नहीं लौटता। विदेश में ही बस जाता है।
द्वितीय चरणः जातक सरकार में उच्च पद पर सलाहकार की हैसियता से कार्य करता है। उसकी कानून में अच्छी पैठ होती है।
तृतीय चरणः यहाँ बुध जातक में परस्त्रीगमन की लालसा तीव्र करता है। इस कार्य में वह अपनी संपत्ति भी लुटा सकता है।
चतुर्थ चरण: यदि बुध की गुरु के साथ युति हो तो जातक एक सरकारी अधिकारी के रूप में विश्व की व्यावसयिक यात्राएं करता है। उसके जीवन का पैतालिसवां एवं बावनवां वर्ष कष्टकारक बताया गया है।
पूर्वाषाढा स्थित बुध पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि हो तो जातक शांत प्रकृति का होता है। चंद्र की दृष्टि उसकी लेखन प्रतिभा को निखारती है। मंगल की दृष्टि भी जातक को प्रख्यात लेखक बना सकती है।
गुरु की दृष्टि हो तो जातक के विद्वान, उदार एवं उच्च राजनीतिक पद पर होने की सूचना मिलती है।
शुक्र की दृष्टि जातक को अध्यापन क्षेत्र में सफल बनाती है। शनि की दृष्टि के अशुभ फल मिलते हैं। उसका जीवन दुखी रहता है।
पूर्वाषाढा नक्षत्र में गुरु के फल
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गुरु उसके तृतीय एवं चतुर्थ चरण में अच्छे फल दर्शाता है। शेष दो चरणों में फल सामान्य ही होते हैं।
प्रथम चरण: जातक के भाई अधिक होते हैं।
द्वितीय चरण: गुरु पर यदि अन्य ग्रहों की शुभ दृष्टि हो तो जातक तीर्थाटन प्रिय होता है।
यदि चंद्र की गुरु पर दृष्टि हो तो किसी पवित्र नदी में जल समाधि के संकेत किये गये हैं।
तृतीय चरण: जातक को पूर्ण पारिवारिक सुख मिलता है। अच्छी पत्नी और अच्छे बच्चे। पच्चीस से पैंतालिस वर्ष की अवस्था जीवन का स्वर्णिम काल होता है। __ चतुर्थ चरण: जातक अनेक शास्त्रों का ज्ञाता, साथ ही वैज्ञानिक शोध कार्यों में भी रुचि रखने वाला होता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 200
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