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बुध की दृष्टि जातक को ज्योतिष शास्त्र में प्रवृत्त करती है। उसका जीवन भी सुखी होता है ।
गुरु की दृष्टि के फलस्वरूप जातक उच्च पद पा सकता है।
शुक्र की दृष्टि हो तो जातक धनी और धार्मिक प्रवृत्ति का होता है । शनि की दृष्टि भी शुभ प्रभाव डालती है । यद्यपि जातक कुछ क्रूर मना तथापि धार्मिक एवं विभिन्न शास्त्रों में पारंगत होता है।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में मंगल की स्थिति के फल
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में मंगल चतुर्थ चरण में ही शुभ फल देता है। शेष चरणों में फल सामान्यतः सामान्य ही मिलते है ।
प्रथम चरणः यहाँ मंगल जातक को साहसी बनाता है। यदि मंगल के साथ गुरु हो तो जातक सुयोग्य प्रशासक बनता है।
द्वितीय चरण: यहाँ जातक चिंतित मनःस्थिति वाला होता है। यहाँ शनि के साथ मंगल की युति विपत्तिकारक होती है ।
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तृतीय चरण: यहाँ जातक उदार एवं दृढ़-चरित्र होता है । उसमें सामान्य स्थिति से उबरकर ऊंचे उठने की क्षमता होती है ।
इस चरण में स्थित मंगल पर गुरु की दृष्टि जातक को दीर्घायु बनाती है । चतुर्थ चरण: यहाँ मंगल जातक को साहसी बनाता है। वह राजनीति में हो तो ऊंचे पद पर पहुँच सकता है। उसके शत्रु कुछ अधिक होते हैं तथा बावन वर्ष की आयु में शस्त्र से अपघात की आशंका दर्शायी गयी है।
पूर्वाषाढ़ा स्थित मंगल पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि हो तो जातक समाज में सम्मान पाता है । चंद्र की दृष्टि उसके विद्वान होने की सूचना देती है ।
. बुध की दृष्टि हो तो जातक विभिन्न कलाओं में विख्यात होता है। गुरु की दृष्टि संपन्न होने की संभावना दर्शाती है। हाँ, जातक का पारिवारिक जीवन कुछ कलहमय रहता है।
शुक्र की दृष्टि हो तो जातक में कामुक वृत्ति की अधिकता होती है। स्त्रियों की सहायता करते वक्त वह उनसे प्रतिदान में कुछ चाहता भी है 1 शनि की दृष्टि भटकाव को बढ़ाती है ।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में बुध के फल
प्रथम चरणः जातक के विदेश में बसने की इच्छा बलवती होती है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 199
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