Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 198
________________ पूर्वाषाढ़ा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र राशि पथ में 253.20 अंश से 266.40 अंश तक स्थित है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के पर्यायवाची नाम हैं पय, सलिलम्, जलम्, तोयम्। अरब मंजिल में उसे 'अल नाईम' कहा जाता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में चार तारे हैं, जो हाथी दांत की तरह दिखायी देते हैं। देवता जल एवं स्वामी ग्रह शुक्र है। प्रथम चरण का स्वामीः सूर्य, द्वितीय चरण काः बुध, तृतीय चरण काः शनि एवं चतुर्थ चरण का स्वामी गुरु है। गणः मनुष्य, योनिः वानर, एवं नाड़ी: मध्य है। चरणाक्षर हैं: भू, धा, फ, ढ। यह नक्षत्र धनु राशि के 13.20 अंशों से 27.40 अंश तक स्थित है। धनु का स्वामी गुरु है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक बुद्धिमान, तार्किक, अपनी बात पर अड़े रहने वाले, ईश्वर भक्त, विनम्र, पाखंड रहित तथा सहृदय एवं सहायक प्रवृत्ति के होते हैं। उनमें लेखन प्रतिभा भी होती है, विशेषकर कविताएं लिखने में उन्हें आनंद आता है। इन जातकों में एक ही कमी होती है कि जहाँ वे बहत जल्दी ही किसी निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं, वहाँ निर्णय करने में सदैव सोच-विचार, तर्क-कुतर्क किया करते हैं। लेकिन उनमें यह भी एक गुण होता है कि एक बार निर्णय करने के बाद वे उससे पीछे नहीं हटते, भले ही उन्हें मालूम भी पड़ जाए कि उनका निर्णय सही नहीं है। ऐसे जातक अच्छी शिक्षा पाते हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा खास तौर पर चमकती है। उनमें गुह्य विद्याओं के अध्ययन के प्रति भी पर्याप्य रुचि होती है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार । 196 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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