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ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक हष्ट-पुष्ट, ऊर्जा संपन्न तथा आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं। निर्मल हृदय, धीर-गंभीर स्वभाव उनकी विशेषता होती है ।
ऐसे व्यक्ति अपनी अंतरात्मा की आवाज के अनुसार ही कार्य करना पसंद करते हैं । चूंकि वे दूसरों की सलाह मानतें नहीं, अतः उन्हें हठी कहा जाने लगता है। ऐसे व्यक्तियों का स्वभाव कभी-कभी उग्र भी हो जाता है । वे सिद्धांत - प्रिय भी होते हैं और उसी के अनुसार तमाम विरोधों या परामर्शो के बावजूद वही निर्णय करते हैं, जो उन्हें अपने सिद्धांत के अनुसार ठीक लगता है । फलतः उन्हें दंभी भी समझ लिया जाता है। जबकि वास्तव में वे ऐसे होते नहीं । हाँ, उनमें प्रतिशोध की भावना कुछ अधिक होती है, तब वे आगा-पीछा नहीं देखते।
ऐसे जातकों को जीवन में बहुत शीघ आजीविका के क्षेत्र में उतर जाना पड़ता है। इसके लिए वे कहीं दूर-दराज के क्षेत्रों में भी जाने से नही हिचकते । वे अपना कार्य निष्ठा से करते हैं, फलतः उनकी तरक्की भी होती है । लेकिन अठारह वर्ष से छब्बीस वर्ष तक उनके जीवन में पर्याप्त संघर्ष रहता है जो प्रौढ़ावस्था तक चलता ही रहता है ।
ऐसे जातकों की युवावस्था भले ही कठिन संघर्ष में बीतती हो तथापि वह संघर्ष उन्हें भावी जीवन के लिए बहुत कुछ सिखा जाता है ।
ऐसे जातकों का पारिवारिक जीवन उनके अपने स्वभाव के कारण कुछ दुखी ही रहता है । वे अपने आगे किसी को कुछ समझते नहीं, फलतः परिवार वाले भी कुछ अलग-थलग रहने लगते हैं।
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ऐसे जातकों की पत्नी उनके लिए एक अंकुश का काम करती है । ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातकों को मादक पदार्थों से बचने की चेतावनी भी दी गयी है, क्योंकि फिर वे अपनी इस प्रवृत्ति को सीमा में नहीं रख पाते । अत्यधिक मादक पदार्थों का सेवन उनके स्वास्थ्य पर तो बुरा असर डालता ही है, साथ ही उनका वैवाहिक जीवन भी दुष्प्रभावित करता है। इस स्थिति में पत्नी का अंकुश उनके लिए हितकर ही होता है । सामान्यतः उनका वैवाहिक जीवन सुखी ही बीतता है तथापि अन्य कारणों से समय-समय पर अलग-अलग भी रहना पड़ सकता है।
ऐसे जातकों को बार-बार बुखार, अतिसार एवं अस्थमा की शिकायतें हो सकती हैं; अतः उन्हें स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने की भी सलाह दी गयी है ।
ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 180
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