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पर पापग्रहों की दृष्टि हो तो इसे जातक के जीवन के लिए अनिष्टकर माना गया है।
द्वितीय चरणः यहाँ राहु जातक में कुटिल बुद्धि एवं धूर्तता का संचार करता है।
तृतीय चरण: यहाँ राहु शुभ फल देता है । जातक अपने विचारों को प्रभावपूर्ण तरीके से व्यक्त करता है तथापि जीवन कुछ कठिन स्थितियों में ही बीतता है ।
चतुर्थ चरणः यहाँ जातक रुग्ण एवं परिवार द्वारा तिरस्कृत भी होता है।
ज्येष्ठा नक्षत्र स्थित केतु के फल
राहु की तुलना में ज्येष्ठा नक्षत्र में केतु अच्छे फल देता है
प्रथम चरण ः यहाँ केतु जातक को प्रशासकीय सेवाओं में ले जाता है। यदि साथ में मंगल भी हो तो जातक शीर्ष पद तक पहुँच सकता है। विदेश यात्राओं के भी योग बनते हैं
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द्वितीय चरणः यहाँ भी ऐसे ही फल मिलते हैं ।
तृतीय चरण: यहाँ केतु के कारण जातक धनी एवं खेल-कूद तथा मनोरंजन संबंधी कार्यों से लाभ प्राप्त करता है।
चतुर्थ चरण ः यहाँ भी केतु अच्छे फल देता है। जातक का आजीवन सुखी रहता है । व्यवसाय में भी उसे अच्छी सफलता मिलती है ।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र - विचार ■ 187
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