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मूल नक्षत्र स्थित मंगल के फल
मूल नक्षत्र में मंगल हो तो जातक को शरीर में घाव लगने की आशंका बनी रहती है। जातक काफी उम्र तक परिपक्व नहीं हो पाता। वाणी भी कुछ क्रूर ही होती है। । प्रथम चरण: यहाँ मंगल जातक को शत्रुहंता बनाता है।
द्वितीय चरणः यहाँ मंगल हो तो उपरोक्त बातें स्पष्ट नजर आती हैं। जीवन में चालीस वर्ष के बाद ही तरक्की होती है।
तृतीय चरणः यहाँ जातक को कठिन संघर्ष के बाद ही कुछ सुख मिलता है। शरीर में घाव लगने की भी आशंका बनी रहती है। जातक तेज-तर्रार स्वभाव का होता है।
चतुर्थ चरणः यहाँ मंगल हो तो जातक के सुरक्षा सेनाओं में जाने के योग होते हैं। जातक चिड़चिड़े स्वभाव का कलह-प्रिय होता है। जीवन-संघर्ष पूर्ण तथा निराशा से भी भरा होता है। अतः जातक का गुह्य विद्याओं के प्रति भी रुझान हो जाता है।
मूल स्थित मंगल पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि .
सूर्य की दृष्टि बहुत शुभ फल देती है। जातक सौभाग्यशाली एवं समाज में समादृत होता है। तथापि उसके व्यवहार में रुक्षता होती है। __चंद्र की दृष्टि हो तो जातक विद्वान होता है। लेकिन उस पर कुछ फौजदारी के आरोप भी लग सकते हैं।
बुध की दृष्टि उसे कलाविद् बनाती है। कुछ कलाओं में वह विशेष दक्षता प्राप्त कर सकता है।
गुरु की दृष्टि धनी एवं सुख-सुविधा पूर्ण जीवन का संकेत करती है तथापि जातक का वैवाहिक जीवन विषमय हो सकता है।
शुक्र की दृष्टि जातक को उदार बनाती है। लेकिन उसमें काम वासना भी उग्र होती है।
शनि की दृष्टि हो तो जातक यायावरी प्रवृत्ति का होता है। शरीर में किसी विकलांगता की भी आशंका बनी रहती है।
मूल नक्षत्र में बुध की स्थिति के फल
मूल नक्षत्र में बुध प्रायः शुभ फल ही देता है। जीवन सुखी एवं मान-सम्मान से युक्त होता है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार । 191
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