Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 194
________________ प्रथम चरणः जातक सत्ता पक्ष के उच्च पदासीन लोगों की निकटता से लाभान्वित होता है । द्वितीय चरणः जीवन सुखी रहता है। जातक शासकीय सेवा में रत रहता है यदि बुध के साथ राहु भी हो तो जातक की इंजीनियरिंग क्षेत्र में जाने की संभावना बनती है। वह स्वयं भी कोई उद्योग शुरू कर सकता है। तृतीय चरणः जातक स्वतंत्र व्यावसायिक जीवन बिताना पसंद करता है । यदि बुध के साथ गुरु हो तो जातक वेदों का ज्ञाता भी हो सकता है। उसके चार्टड एकाउंटेंट बनने का योग होते हैं । जातक के शीर्ष स्थान पर पहुँचने की भी संभावना होती है। चतुर्थ चरणः जातक का जीवन सुखी होता है । मूल नक्षत्र स्थित बुध पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि सूर्य की दृष्टि जातक को शांत चित्त बनाती है । चंद्रमा की दृष्टि हो तो जातक में प्रख्यात लेखक बनने की क्षमता होती है । मिलनसार वृत्ति का ऐसा जातक किसी का विश्वास नहीं तोड़ता । मंगल की दृष्टि भी जातक को लेखकीय प्रतिभा होने का संकेत करती है। गुरु की दृष्टि के शुभ फल मिलते हैं। बुद्धिमान, आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है। उसमें राजनीति के क्षेत्र में बहुत ऊंचे जाने की क्षमता होती है । शुक्र की दृष्टि हो तो जातक मृदुभाषी एवं अध्यापन के क्षेत्र में सफल होता है। शनि की दृष्टि को अशुभ बताया गया है। जातक का जीवन दुख से भरा होता है । यह सब शायद इसलिए कि जातक क्रूर एवं कुटिल व्यक्ति के रूप में बदनाम हो जाता है । मूल नक्षत्र में गुरु की स्थिति के फल मूल नक्षत्र में गुरु की स्थिति शुभ फल प्रदान करती है । जातक सद्गुणी, धनी, दीर्घायुष्य और धार्मिक वृत्ति का होता है । प्रथम चरणः यहाँ जातक ईमानदारी से भरा सात्विक जीवन व्यतीत करता है । शिक्षा के क्षेत्र में वह विशेष सफल रहता है । द्वितीय चरणः जातक धनी एवं अधिकार संपन्न होता है । तृतीय चरणः जातक सुखी, संपन्न वैवाहिक जीवन व्यतीत करता है। यदि गुरु के साथ बुध की युति हो तो जातक विभिन्न विषयों का विद्वान होता है। ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 192 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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