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का प्रतिदान नहीं चाहतीं फलतः वे सबकी प्रिय पात्र भी बन जाती हैं। अपने इस गुण के कारण वे राजनीति या सामाजिक क्षेत्र में भी सफल हो सकती हैं।
ऐसी जातिकाओं की नृत्य-संगीत एवं ललित कलाओं में भी रुचि होती है । यदि वे इन विषयों में अध्ययन करें तो वे उच्च कोटि का ज्ञान प्राप्त कर सकती हैं। अपनी कला में पारंगत होने के कारण वे पर्याप्त ख्याति प्राप्त करने में सफल हो सकती हैं।
ऐसे सद्गुणों से युक्त जातिकाओं का वैवाहिक एवं पारिवारिक जीवन सुखी तो होगा ही। वे पति के प्रति पूर्ण निष्ठा, बच्चों के लालन-पालन पर पर्याप्त ध्यान देने वाली अर्थात् आदर्श मां होती हैं। सास-ससुर के प्रति भी उनके मन में अपार आदर होता है।
जहाँ तक स्वास्थ्य का संबंध है, आम तौर पर ऐसी जातिकाएं स्वस्थ ही रहती हैं तथापि अपने मासिक धर्म में किसी गड़बड़ी के प्रति उन्हें सचेत रहना चाहिए ।
अनुराधा नक्षत्र में सूर्य की स्थिति के फल
अनुराधा के प्रथम एवं अंतिम चरण में सूर्य की स्थिति के शुभ फल मिलते हैं जबकि द्वितीय एवं तृतीय चरण में मिश्रित फल । यथा :
प्रथम चरणः जातक साहसी, शत्रुहंता और अपने जन्म स्थल से दूर बसने वाला होता है । उसमें स्त्रियों के प्रति विशेष आसक्ति होती है।
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द्वितीय चरणः जातक धनी एवं विद्वान होता है । तथापि उसकी मति बेहद अस्थिर होती है और वह कोई भी निर्णय शीघ्र नहीं ले पाता ।
तृतीय चरणः ऐसा जातक अपनी हैसियत से अधिक का प्रदर्शन करता है । फलतः उसमें एक दंभ भी आ जाता है तथा वह अपने से निम्न हैसियत वालों को हेय दृष्टि से देखता है ।
चतुर्थ चरणः ऐसा जातक अपने सारे कार्यों का निष्ठा से संपादन करता है । उसमें निर्णय करने की भी बुद्धि होती है । उसमें विभिन्न कलाओं में निष्णात होने की लालसा भी रहती है। वह सुंदर स्त्रियों की संगति भी पंसद करता है।
अनुराधा स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
चंद्र की दृष्टि हो तो जातक जल से संबंधित कार्यों से धनोपार्जन करता है। उसे अनेक स्त्रियों के भरण-पोषण का भी भार उठाना पड़ता है।
ज्योतिष - कौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 172
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