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चंद्र की दृष्टि उसे शासकीय अथवा राजनीति के क्षेत्र में सफल बनाती है । उसका व्यक्तित्व आकर्षक होता है ।
मंगल की दृष्टि अतिशय बुद्धिमान और वैज्ञानिक बनाती है ।
बुध की दृष्टि उसे धनवान बनाती है ।
गुरु की दृष्टि के फलस्वरूप जातक सद्गुणी और परोपकारी होता है । राजनीति में भी उसे सफलता मिलती है ।
शुक्र की दृष्टि जातक को धार्मिक स्वभाव वाला बनाती है ।
पूर्वाफाल्गुनी के विभिन्न चरणों में राहु
प्रथम चरणः जातक उदार, सद्गुणी और व्यवसाय में सफल रहता है। वह सफल प्रशासक भी होता है ।
द्वितीय चरणः जातक परिश्रमी होता है और अपने बाहुबल से सफलता और सम्मान अर्जित करता है ।
तृतीय चरणः जातक यायावर होता है। विदेशों में प्रवास से उसे धन लाभ होता है ।
चतुर्थ चरणः जातक बुद्धिमान, कार्यकुशल और जीवन में सफल रहता है। शासन से उसे मान-सम्मान प्राप्त होता है।
पूर्वा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में केतु
प्रथम चरण ः यहाँ केतु सर्वोत्तम फल देता है। जातक को अर्थ-लाभ, यश - लाभ और जीवन में सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं । उसका वैवाहिक जीवन भी सुखी बीतता है।
द्वितीय चरण: यहाँ भी केतु सौभाग्य कारक होता है। जातक को अर्थलाभ, यश - लाभ और हर तरह के शुभ का लाभ मिलता है ।
तृतीय चरणः यहाँ केतु व्यक्ति को अत्यधिक धार्मिक वृत्ति का बनाता है । ईश्वर पर उसकी अगाध आस्था होती है। वह स्पष्ट वक्ता भी होता है । चतुर्थ चरण: यहाँ केतु जातक को परिश्रमी बनाता है। वह जीवन में उत्तरोत्तर प्रगति करता है।
ज्योतिषकौमुदी : (खंड- 1 ) नक्षत्र विचार 136
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