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उत्तरा फाल्गुनी
__उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र राशिपथ में 146.40 से 160.00 अंशों तक स्थित है। पर्यायवाची नाम हैं-अर्यमा, उत्तर भ्नाम । अरबी में इसे 'अल सरफाह' कहते हैं। यह नक्षत्र सिंह एवं कन्या राशि में बंटा हुआ है। प्रथम चरण सिंह राशि (स्वामी : सूर्य) में तथा बाद के तीन चरण कन्या राशि में, जिसका स्वामी बुद्ध है, आते हैं। इस नक्षत्र में दो तारे हैं, जो एक शैया का भास देते हैं। ___ नक्षत्र देवता अर्यमा तथा नक्षत्र का स्वामी ग्रह सूर्य है। नक्षत्र का गणः मनुष्य, योनिः गौ और नाडीः आदि है।
चरणाक्षर हैं: टे, टो, पा, पी।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातक लंबे, स्थूलकाय एवं कुछ लंबी नाक वाले होते हैं। स्वभाव से वे धार्मिक, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, समाजसेवी तथा सौंपे गये कार्य पूर्ण उत्तरदायित्व से करने वाले होते हैं, फलतः जीवन सुखी और संतुष्ट बीतता है। उनकी स्वतंत्रप्रिय प्रवृत्ति कभी-कभी उन्हें अधीर, हठी एवं गुस्सैल भी बना देती है, तथापि दिल के वे.साफ होते हैं। वे किसी को धोखा देना नहीं जानते, न चाहते। वे जनसंपर्क के कार्यों से लाभान्वित हो सकते हैं। उनमें एक यही कमी होती है कि वे औरों का काम तो बड़ी निष्ठा से निभाते हैं, लेकिन अपने कार्यों के मामले में लापरवाही ही होते हैं। यों वे कठिन परिश्रम से नहीं घबराते, फलतः जीवन में तरक्की भी करते हैं। अध्यापन, लेखन, वैज्ञानिक शोध आदि के क्षेत्रों में उनकी प्रतिभा खूब चमकती है।
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 137
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