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ऐसे जातकों का बत्तीस वर्ष की आयु तक का जीवन घोर संघर्षमय कहा गया है। अड़तीस वर्ष की अवस्था के बाद उनकी तेजी से तरक्की होती है। उनका पारिवारिक जीवन न्यूनाधिक रूप से सुखी ही होता है क्योंकि वे संतोषप्रिय होते हैं।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं मध्यम कद की, कोमल शरीर तथा कुछ लंबी नाक वाली होती हैं। वे शांतिप्रिय, सिद्धांतप्रिय तथा मृदुभाषी भी होती हैं। गणित एवं विज्ञान में उनकी विशेष रुचि होती है तथा अध्यापन एवं प्रशासन के क्षेत्र में वे सफलता प्राप्त कर सकती हैं। माडलिंग या अभिनय के क्षेत्र में भी वे सफल हो सकती हैं। गृह कार्य में भी वे दक्ष होती हैं। ऐसी जातिकाओं को प्रदर्शन-प्रियता से बचने की सलाह दी गयी है। ___ ऐसी जातिकाओं का वैवाहिक-पारिवारिक जीवन पूर्णतः सुखी रहता है, पति एवं बच्चों से उन्हें हमेशा सुख-संतोष ही मिलता है।
उत्तरा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों के स्वामी ग्रह इस प्रकार हैं: प्रथम एवं चतुर्थ चरण का स्वामी गुरु एवं द्वितीय तथा तृतीय चरण का स्वामी शनि।
उत्तरा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में सूर्य
उत्तरा फाल्गुनी के विभिन्न चरणों में सूर्य सामान्यतः शुभ फल देता है। इस नक्षत्र में सूर्य कलात्मक अभिरुचियां बढ़ाता है।
प्रथम चरणः यहाँ सूर्य जातक को उत्साही, वाचाल और महत्त्वाकांक्षी बनाता है। स्वभाव की उग्रता के कारण वह अलोकप्रिय भी हो जाता है।
द्वितीय चरण: यहाँ सूर्य दार्शनिक स्वभाव में वृद्धि करता है। जातक में लेखन प्रतिभा होती है।
तृतीय चरण: यहाँ भी सूर्य कलात्मक अभिरुचियों में वृद्धि करता है। जातक को साहित्य से, चित्रकला से प्रेम होता है। उसमें संवेदनशीलता कुछ अधिक होती है और वह एक सफल कवि या चित्रकार भी बन सकता है।
चतुर्थ चरणः यहाँ सूर्य सामान्यतः शुभ फल देता है। जातक की ललित कलाओं में रुचि होती है।
उत्तरा फाल्गुनी स्थित सूर्य पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
उत्तरा फाल्गुनी स्थित सूर्य पर चंद्र की दृष्टि के फलस्वरूप जातक को संबंधियों से कष्ट मिलता है। ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 138
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