Book Title: Jivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 16
________________ ध्यान की शिक्षा का उद्देश्य १६८, रस के स्राव १६९, विचारों का असंतुलन १६९, स्राव : परिवर्तन का उपाय १७०, वर्तमान में जीने का प्रयोग १७१ ३.४ जीवन विज्ञान : मस्तिष्क प्रशिक्षण की प्रणाली १७३-१८१ शीघ्र अधिगम की पद्धति १७५, संस्कार परिवर्तन की प्रणाली १७६, जीवन विज्ञान का अभ्युपगम १७७, समन्वित विकास १७७, ग्रहण क्षमता का विकास १७८, तनाव मुक्ति १७९, श्वास की स्मृति १७९, जीवन विज्ञान पद्धति के मुख्य प्रयोग १८० ३.५ जीवन विज्ञान : सांगीण व्यक्तित्व विकास का संकल्प १८२-१८९ तन्त्र के संतुलन का प्रयत्न १८२, शिक्षा जगत की समस्याएं १८३, समाधान है जीवन विज्ञान १८५, ३.६ जीवन विज्ञान : स्वस्थ समाज रचना का संकल्प १९०-१९७ समाज रचना के आधार १९०, वर्तमान स्थिति १९०, मनुष्य जाति एक है १९१, अहिंसा के संस्कार १९२. अहिंसा की आस्था १९२, आस्था मनुष्य जाति की एकता में १९३, घृणा और क्रूरता १९४, ढाई आखर प्रेम का १९५, प्रश्न है पल्लवन का १९५, आस्था का निर्माण किया जाए १९६ खण्ड-द जीवन विज्ञान : प्रायोगिक २०१-२१९ तृतीय पत्र-प्रायोगिक पाठ्यक्रम अभ्यास प्रथम : प्रेक्षाध्यान शरीर प्रेक्षा, चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा, विवेक के केन्द्र और वासना के केन्द्र, विधि, प्रयोग अभ्यास द्वितीय : प्राणायाम पुनरावर्तन, उज्जाइ प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम अभ्यास तृतीय : यौगिक क्रियाएं स्वभाव परिष्कार के लिए मेरुदण्ड की क्रियाएं, मेरुदण्ड की क्रियाएं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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