Book Title: Jambuswami Charitam
Author(s): Ratnaprabhsuri, Hemsagarsuri
Publisher: Dhanjibhai D Zaveri

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जम्बुचरित्रे ॥ ८ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तओ समीहामि । इह वि भवे पव्वइऊण, पज्जुवासामि तुम्ह पए ।। ९७ ।। नवरं अम्मापियरो, पुच्छामि सुसामि ! नियहियट्टाए । भणियं मुणिणा मा धेहि, धीर! पडिबंधमेत्थ तुमं || ९८ || सगिहे स गओ विन्नवेइ, अम्मापिऊ वयट्ठाए । पभणंति ताणि तं चैव, बच्छ ! एगो सुओ म्हं ॥ ९९ ॥ सरणं ताणं दीवो, तं चिय सग्गो व अहव अपवग्गो । तर विरहियाणि अम्हे, पुत्तय ! अंधाणि बहिराणि ॥ १००॥ तुह आयत्ता पाणा, अम्हाणं दिक्खिए तुमंमि तओ । घरघन्ति ( हि ) यससया विव, पुत्त ! पलायंति ते झन्ति ॥ १ ॥ बहु भणियाणि वि जा ताणि, नेव मुंचति संजमाय तओ । सावज्जजोगविरओ, जइ व्व जाओ धिइसहाओ ||२॥ नरम न जिमइ जंपेइ, नेव वेरग्गमग्गलग्गमणो । अंतेउरेगदेसे वसेर सुन्ने जहा रन्ने || ३ || विविधपयारेहिं पर्यपिओ वि पियरेहिं पउरपउरेहिं । जाव न मन्नइ सो किंपि ताव रन्ना विसन्नेण ॥ ४ ॥ सदाविय सिट्टिसुओ, दढधम्मो सावगोविवेगनिही । पयडियतत्तं वुत्तो, कुमरो जह जिमइ तह कुणसु ॥ ५ ॥ इय कुणमाणेण तए, जीवियमम्हाणमप्पियं होइ । जहसत्तीए जइस्सं ति, तस्स पासंमि सो जाइ ॥ ६ ॥ पविसइ निसीहियाए, इरियावहियं पडिक्कमिऊण । वंदइ दुवालसावत्तवंदणेणं जइजणं व ॥ ७ ॥ अणुजाणाविन्तु पमजिऊण पासे सिवस्स उवविसइ । चिंतइ सिवो जइस्स व, मह विणओ णेण किं विडिओ ||८|| पुच्छामि ताव भो इब्भपुत्त ! सो वत्तिओ तए विणओ। जो सागरदत्तगुरुण, किज्जमाणो मए दिट्ठो ॥ ९ ॥ किमहमरिहामि तं ताण, पायपंकयपरागपरमाणू । स भणेइ भग्ग मोणारंभं दट्ठूण तं तुट्ठो ॥ ११० ॥ जइ वि जईण स जुज्जइ, तहावि किज्जइ हावि कज्जेण । विणओ धम्मस्स धुवं भणिओ जिणसासणे मूलं ॥ ११ ॥ यतः - “ मन्त्राः सतन्त्रात्रिजगत्पवित्राः, शुभम (दे) वेशाः स्थविरोपदेशाः । विद्याऽनवद्या त्रिदशौघवन्द्या, श्रयन्ति सन्तं सततं विनीतम् ॥ १२ ॥ " जह जइजणस्स निस्समसंजमसंजायसुद्धलेसस्स | तह उचिओ कायव्वो, विणओ सुसावयस्सावि ॥ १३ ॥ जं पुण दुवालसावत्तवंदणं दिज्जए जइजणस्स । तं तुज्झ मए दिन्नं, भावजई जमसि संजाओ ॥ १४ ॥ न जिमसि न जंपसे, केण हेउणा भणइ सिवकुमारो । तो दढकयवयपरिणामस्सऽवस्कायव्वमेयं मे ।। १५ ।। जावऽज्जवि पवज्जं पवज्जिडं दिति नेव पियराणि । नणु ताव भावसाहू, होऊण गि For Private And Personal Use Only शिवकुमार प्रव्रज्या निश्वयः । ॥ ८ ॥

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