Book Title: Jambuswami Charitam
Author(s): Ratnaprabhsuri, Hemsagarsuri
Publisher: Dhanjibhai D Zaveri

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Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जम्बूचरित्रे ॥ ३५ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजनि यदपमृत्यो निष्फला स्थैर्यभाजो विजयसुजयबन्ध्वोजैन दीक्षाऽभिकाङ्क्षा ॥ ४४ ॥ अह भइ कणयसेणा, तुमं समो होसि सामि ! थेरीए । इय विसयगामलाभे वि, जो न संतोसमुव्वहसि ॥ ४५ ॥ एगम्म सन्निवेसे, वसंति दो सेज्झियाउ थेरीउ । ताणेगा आराहेइ, खित्तरक्खाकरं जक्खं ॥ ४६ ॥ अणुदिणं मंदिरं संमज्जिऊण लिंपेइ सत्थिए देइ | भत्तीए धुवमुग्गाहिऊण पूएइ जसत्ति ||४७॥ भणइ सुरो स पसन्नो, वरसु बरं साऽऽह देसु दीणारं । पइदिवसमेत्तिएणं, पुज्जति मणोरहा मज्झ ॥। ४८ ।। लद्वेण तेण सारखाण- पाणनेवच्छलच्छिसच्छाया । कुणइ अतिहीण पूयं सम्मा | सणसहिया ॥ ४९ ॥ अह मच्छरछारच्छुरियमाणसा पुच्छए परा थेरी । द्दे थेरि ! कहसु सव्वं, तुह कत्तो एत्तिया रिद्धी ॥ ४५० ॥ भणियं ए (चे) ईए अहं, कह न कहिस्सं नियाए भइणीए । संकरियाए पुव्वं, जह कहियं जोगराएणं ।। ५१ ।। ओ भणियं तीए कहेहि, ताव काणयं एयं । पच्छा पुच्छिय कहिजासु, तओ सा कहिउमारद्धा ॥ ५२ ॥ जोगरायनामाओ ठक्कुरो एगो कइवयपत्तिपरिवारिओ पत्तो पट्टणमेकं, परिसराऽऽरामवसुंधराए साहारतरुच्छायाए उबविट्ठो विसमि । पुरमज्झाओ निम्गओ तत्थागओ एगो पुरिसो । उववेसिऊण तंबोलदाणपुव्वं पुट्टो य ठक्कुरेण । किंनामधेयमेयं नयरं ? | पुरुषः---कलिमहाराएणमप्पणी पाणवलहस्स पसायदाणेण दिज्जमाणमणायारं नामेयं पट्टणं । योग० – कीदृशोऽत्राऽऽचारप्रचारः ? । पुरुषः- अणायारे केरिसो आयारो होइ । तहवि सुणेहि जूयारपारदारिय-विडगठिच्छोडखत्त हडपाया । पाएण एया निवसइ, एत्थ पुरे तुंगधवलहरे ॥ ५३ ॥ योग०-- अहो आचारचातुरीचतुरखप्रजारामणीयकं नगरं धवलगृहाणाम् । कः पुनरत्र कलिमहाराजस्य प्रसादपात्रं पार्थिवः ? | पुरुषः- अविचारो नाम । योग० – युज्यते अनाचारस्याविचाराधिपत्यम् । अयोमुद्रिकायां हि काचमणिरेव योग्यो भवति ॥ ५४ ॥ के पुनस्तस्य गुणाः । For Private And Personal Use Only इर्ष्यालुस्थविरयोः कथा । ।। ३५ ।।

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