Book Title: Jambuswami Charitam
Author(s): Ratnaprabhsuri, Hemsagarsuri
Publisher: Dhanjibhai D Zaveri

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जम्पूचरित्रे ॥ ५२ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिट्ठो । जामाउओ इयाणि, तुह सो सब्बंगसिंगारो ॥ ३८ ॥ तो सा हिययं कुट्टेइ, कुट्टिणी हा इहागओ कह णु । गोवि मं पाउयाओ लेही नियाओ सो ॥ ३९ ॥ काऊण किंपि कूड, अंगे पविसामि ताव जइ कहवि । छुट्टेऊणं वंचित्तु नव्व दव्वंपि गिहामि || ६४० ॥ सव्वंगबद्धनिप्पट्टपट्टिया लोट्टिऊण खट्टाए । मागहियं पेसइ तस्स, आणणत्थं सुसिक्खिविडं ॥ ४१ ॥ गंतूणमाह एसा किं, जुत्तं तुम्ह नियगिहं मोतुं । मं च नियदंसणायत्तपाणमन्नत्थ उत्तरि ।। ४२ ।। अवधारिज्जउ पाओ, होउ पसाओ उवेह नियगेहे । मरमाणीए मायाए, देहि संभासमतिमगं ॥ ४३ ॥ सयमेवागच्छंति, मचच्छिय ! अमाउयाए भेट्टाए । हक्कारणाय पत्तासिऽज्जं सयं सो महासउणो ॥ ४४ ॥ इय भणिय तीए सद्धिं पत्तो लोहगलासमीवं सो। पुच्छइ तरवारि महापहारपीडाइमावत्तो ।। ४५ ।। नीससिऊण सुदीहं, सा आह अगाहवाहिविहुरि व्व । 'पाणंति पणवियवसण - वेससा किं भणामि लहुं ॥ ४६ ॥ जाणेसि ताव दोन्नि वि पत्ताई अणंगदेउलदुवारे । मोत्तूण पाउआओ, तत्थ गओ तंसि गम्भहरे ||४७॥ ताम्हि रक्खवाली, जाव ठिया ताव खेयरो एगो । आगम्म पाउयाओ, लेडं लग्गो महपुरो वि ।। ४८ ।। पाएस पाउयाओ, काऊणमहं तओ पलायंती | पत्ता एत्तियभूमि, अणुमग्गेणं स खयरोवि ॥ ४९ ॥ संगामो संलग्गो, तेण समं तो महापहारेहिं । मं पाडिऊण पावेण, पाउया ताओ नीयाओ ।। ६५० ॥ चिंतइ सो पावा, पाउयासु पासठियासु कवडवसा । पलवेइ आलजालं, समए सव्वंपि जाणिस्सं ॥ ५१ ॥ पभणइ माए ! जइ नाम, पाउयाउ गयाउ गच्छंतु । आदाय दुक्खमग्गस्स तुज्झ जीवेसु तं सुचिरं ॥ ५२ ॥ सोऊणमेयमेयाए, जीवियं तणुकुडिं अणुपविट्टा । तुट्टा पभणइ पुत्तय !, तत्तो पत्तोसि कहमेत्थ ॥ ५३ ॥ भणियमणेण मयंगो, पञ्चक्खो मग्गिओ मए माए । तं देसु जेण थेरत्तणे वि तारुन्नमुन्नमइ ॥ ५४ ॥ गुडियं दाउ दव्वं च, तेणमिहमाणिऊण मुक्कोहं । छोडेसु पट्टए ताव, जेण जोएमि असिघाए ॥ ५५ ॥ संरोहणीए रोहेमि, तक्खणा तीए वुत्तमलमत्थु । छुट्टंतएसु जा पट्टएसु पीडा तयं न सहे ॥ ५६ ॥ जइ पुण पट्टेसु तह ठिएसु, तुह हवइ कावि सुचिकिच्छा । ता " १ पाणंति य पावियवसणवेससा किं भणामि अहं ॥ BOD २ मणंगो B. D ३ सुचिगि० । For Private And Personal Use Only अतिलोभे सोह गणिकाकथा । ॥ ५२ ॥

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