Book Title: Jambuswami Charitam
Author(s): Ratnaprabhsuri, Hemsagarsuri
Publisher: Dhanjibhai D Zaveri
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जम्बूचरित्र ॥४८॥
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विनत्तममरसेणस्स । पियबंधव ! लिज्जउ रज-लाभसज्ज रयणमेयं ।। ५९ ।। कहिओ विहि जहत्थो, सवित्थरो थिरमणेण कायव्वो। फलसिद्धीए एयस्स, लाभवुत्तमक्खिस्सं ॥५६० ।। अह एगते साहारवीहियाए गओ स हरिसेण । पुजिय पणमिय: पत्थेइ,
16| अतिलोभे पस्थिवत्तं सुथिरचित्तो ॥६१ ॥ विहियपहाणविहाणो, कयाऽवहाणो सयंपि वरसेणो । नियरयणाओ मग्गइ, सामगि भोयणाईणं
लोहर्गला
गणिका। ६२ ।। पयडीहूया तो अच्छराओ तत्थटू लदुरूवाओ, निम्मियनिम्मलसुविसालचउसालसोहाओ। अभंगअंगमद्दणउव्वट्टणण्हा
कथा । णभूसणाईहिं, सम्माणिऊण निवं सावयंति देवंगवत्थाई ।। ६३ ।। अइसरसपाणभोयणतंबोलपसूणपमिइ दाऊण । कत्थइ सव्वंपि खणेण, त गयं इंदयालं व ।। ६४॥ भुत्तुत्तरं पसुत्तो, जावच्छइ ताव वच्छछायाए । जेद्रकुमारो ता तत्थ, पंच पत्ताई दिव्वाई
॥६५॥ पाडलिपुत्ते पत्ते, पंचत्तं पत्थिवे अपुत्तमि । गयय-चामर-दुंदुहि-छत्ताई पउरजुत्ताई ।। ६६ ।। अहिसिंचिऊण कल- । | सेण, गुलगुलेउण मयगलो खंधे। आरोवेइ कुमार, हओ विहि णिहिणइ हरिसेण ।। ६७ ।। विमलाओ चामराओ, ढलंति बजेइ दुंदुही पुरओ। वित्थरियमत्थयत्थं, संजाय सेयछत्तंपि ।। ६८ ।। भडचडगरेण महया, पविसेइ पुरस्स मज्झयारंमि । पणमिजतो
सामंतमंतिमंडलियलोएण ॥ ६९॥ नीहरिओ वरसेणो, तत्थावसरे गओ पुरस्संतो। निवकज्जेसु पज्जाउलस्स किं मज्झ सोक्खंति N॥ ५७० ॥ अइचिरमेस गवेसाविओ वि सव्वत्थ जाव नो दिवो। ता पत्तो पासाए, सो सज्जइ रज्जकज्जाइ ।। ७१ ।। अति| लोभे लोहर्गलागणिकाकथा-इयरो मागहियाए गणियाए गओ गिड़मि सयणोव्व । सयमेव ताव तीए, गंतूणब्भुवगओऽभिमुहं ॥७२॥ बिहियविविहोवयारा, मागहिया अवहरिंसु से हियय । लोहग्गलाए अक्काए, मग्गिय पूरइ इमो वि ॥ ७३ ।। भणिया धूया लोहम्गलाए धणमस्स एत्तियं कत्तो । न हु देइ कोइ न कयाइ, कुणइ सेवाइववसायं ।। ७४ ॥ ता जामाइयमापुच्छिऊण वच्छे ! सुनिच्छिय कुणसु । भणइ इमा.ते कज्ज, दव्वेण किमेय चिंताए । ७५ ।। लोहग्गलाए अइअगालाऽऽगहाउ इमाए सो पुरो। पभणइ रयणाउ पिये ! मे चिंतियरिद्धिसंसिद्धो ॥ ७६ ॥ लोहग्गलाए कहिए, तीए जोएइ जु(त)नमंजारी । ते रयणं सा घेत्तुं, सुत्तपमत्ताइ तस्स छलं ।। ७७ ।। अह मजणोवविद्वस्स, तस्स चेलंचलस्स गंठीओ । छन्नं छोडिय घेतूण, तीए तं गोवियं रयणं IN
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