Book Title: Jambuswami Charitam
Author(s): Ratnaprabhsuri, Hemsagarsuri
Publisher: Dhanjibhai D Zaveri
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जम्बूचरित्रे
मकरदाढावेश्याकथा ।
॥२१॥
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जयंतीए घणावहो सत्यवाहो तस्स सुधणो नाम विहियविणओ तणओ। सो य सयलकलावपारावारपारीणो जाणिऊण पिउणा पेसिओ पराए रिद्धीए ववहारत्थमुज्जेणीए । तत्थ विविहं ववहरमाणो कयाइ कामपडायाए नाम निग्गयाए बेसाए पत्तो पासाए । तीए य तेहिं तेहिं पयारेहिं तहा विहिओ जहा थेवदिवसेहिं जाओ तम्मओ। जन्नुज्जाणियाइ कज्जसज्जाए य महामायाए मयरदाढाए अकाए कमेणमाणाविओ सव्वंपि दव्वं सपासाए । अवहरियसव्वसारो जाओ त्ति जाणिकण दिवो अकाए अवन्नाए । कामपडायाए पासाए पवेसंपि अपावमाणो गलियाभिमाणो निग्गओ गेहाओ। चितेइ य । नेहनिहाणं तीए लक्खा मुद्दाहिं मुद्दियंपि मए भरियंपी तहा जायं, (हा) ही रित्तं झत्ति कत्तो.वि ॥८९।। नेहेण व देहेण व, दम्वेण व अप्पिएण सव्वेण । कस्सवि न होइ एसा, | वेसा वेसत्ति जुत्तमिण ॥ २९० ।। जुत्तं च वुत्तं केणवि-“अन्नु खाइ अन्नु गलि लग्गइ, अन्नु जंतु वेपन्नई मगइ। कुडि
लकालकोमलघणकेसहि, नालियमनपत्तिज्ज(सि)हि बेसहि ॥ ९१ ॥” अंखिहि रोयइ मणि हसइ, जणु जाणइ सउ सच्चु । बेस विसिदह तं करह, जं कद्वाह करवत्तु ।। ९२ ॥ ज कह करवत्तु करइ, खरदंतखिवंतउ । तं जि विसिगृह सलोउ, कवडिण जंपतउ ॥ ९३ ॥ जणु जाणइ सउ सच्चु मूदु परमत्थु न जोयइ । हियइ मुलुकहि हसइ, वेसओ अंखिहि रोयइ ॥ ९४ ।। परिवारेण हकारिजतो वि लजाए जयंतीए जाइउं न पारेइत्ति । गासवासाइ मेपि अपावितो परिवारो धणावहस्स पासे ॥१५॥ असेसो वि वुत्तो, वुत्ततो पुत्तस्स अइदुहिओ धणावहो आहेसु । अच्छउ दूरे दुरप्पा किं तेण, बेसावसणिणा परिभणियं परिबारेण ॥ ९६ ।। अविनीतेष्वपि विमुखाः, सन्तो नो स्वोपजीवकेषु स्युः । वत्सव्यथितेऽप्यूपसि, सरभिनोंक्रमयति भीरम् ।।२९७॥ तओ चितियं तेण-अवसोत्तपत्तं सित्थंपि व दव्वमेयं मयरदाढाए गिलियं कह वालेयध्वंति, लद्धोवारण अंतरंगपुरिसे पेसिऊण कयसम्माणो मन्नावेऊणमाणीओ अप्पणो पासे पुत्तो । पञ्चइयपुरिसे सहाए दाऊणमइघणधणरिद्धिसमिद्धो काऊण, कन्ने किंपि कहेऊण पुणोवि पेसिओ अवंतीए । अप्पिओ सुसिक्खिओ मक्कडो एगो । सो य जावइयं दव्वं गिलावेऊण मुच्चइ मगिओ तावइयमप्पेइ । तत्थ पत्तो ववहरमाणो अइधणइढो सुधणो नाऊण निवेइओ मयरदाढाए दासीहि विविहउत्तिजुत्तिभत्तिहिं मन्ना
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॥ २१॥
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