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प्राचारांग-मादी
१८ श्रु०१० अ०५ उ०३ सू०१५२ १४३ क मोह, बाल-जीव, कुशाग्न बिन्दु का उदाहरण
मोह से जन्म-मरण
संशय से संसार का ज्ञान १४५ क
ब्रह्मचर्य
भोग दुःख का हेतु १४६ क आसक्ति से नरक:
हिंसा, हिंसक का जन्म-मरण बाल-जीव
एक चर्या ङ अविद्या से मोक्ष मानने वाले सूत्र संख्या
द्वितीय विरत मुनि उद्देशक १४७ क निर्दोष आहार
अप्रमाद विभिन्न प्रकार का दुःख
नश्वर शरीर १४६ रत्नत्रय की आराधना
परिग्रह-महाभय है १५१ क
अपरिग्रह परम चक्षु के लिए प्रयत्न ब्रह्मचर्य
अप्रमत्त होने का उपदेश सूत्र संख्या २
तृतीय अपरिग्रह उद्देशक १५२ कः . अपरिग्रह ___ख समता धर्म
१४८
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